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लोगों के घरों में घुसा बाढ़ का पानी, मचान पर रहने को मजबूर, बोले- नहीं मिली कोई सरकारी मदद

गोपालगंज के मांझा प्रखंड के कई गांव अभी बाढ़ की चपेट में हैं और लोगों के घरों में पानी घुस गया है. यहां के लोग मचान पर रह रहे हैं. लेकिन सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें कुछ भी नहीं मिला और किसी ने इनकी खोज खबर तक नहीं ली.

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Published : Aug 31, 2021, 11:04 PM IST

गोपालगंज: बिहार के ज्यादातर जिलों में बाढ़ की स्थिति (Flood Situation) बनी हुई है. गोपालगंज के मांझा प्रखंड के निमुईया पंचायत के केरवनीया टोला विशुनपुरा गांव निवासी बाढ़ की विभीषिका से नहीं उबर पा रहे हैं. यहां के लोगों के घरों और आसपास चारों ओर पानी (Water) भरा है. लोग पानी के बीच रहने को मजबूर हैं. सरकार बाढ़ पीड़ितों की मदद (Not Helping Flood Victims) करने के तमाम दावे कर रही है. लेकिन अभी तक यहां पर शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि इनका हाल जानने भी नहीं आये. जिससे यहां के लोगों में भारी आक्रोश है.

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बता दें कि मांझा प्रखण्ड के निमुईया पंचायत समेत आस-पास के पंचायतों में बाढ़ के पानी से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. इनकी समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. केरवानीया टोला विशुनपुरा गांव के लोग बाढ़ की कहर से परेशान हैं. यहां पर कई घर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इनको घर से बाहर निकलने के लिए केवल नाव ही एक मात्र सहारा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है की यहां के लोगों को प्रशासन की तरफ से एक भी नाव मुहैया नहीं करायी गयी है. ताकि खाने-पीने समेत अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए ये लोग बाहर निकल सकें.

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बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि तीन से चार बार बाढ़ आ चुकी है. हर बार शासन-प्रशासन द्वारा सुविधा देने की बात कही जाती है. लेकिन कभी भी कोई सुविधा नहीं मिली. विधायक, मुखिया और सरपंच सिर्फ नाम के हैं. जब विकट समय पर साथ नही दे रहे तो फिर इनसे क्या लाभ. हम लोगों के घरों में पानी घुस जाने के कारण खाने-पीने की भी तकलीफें बढ़ गई हैं.

उन्होंने बताया की किसी तरह चना-चबेना खाकर जीवन गुजार रहे हैं. कभी-कभी भूखे भी रहना पड़ता है. सरकारी नाव नहीं मिलने के कारण पैसे देकर गांव से बाहर निकलते हैं और खाने पीने का सामान लाते हैं. घर में पानी घुसने के कारण मचान पर या चरपाई पर खाना बनाना पड़ता है. लेकिन हमारी परेशानी से न तो सरकार को कुछ लेना देना है और न ही यहां के प्रशासन से. यहां हमारी हालात जानने वाला अभी तक कोई नही आया है. जिसको हम लोग अपना दुख बता सकें.

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