गोपालगंज :बिहार के गोपालगंज के आर्य नगर मोहल्ला निवासी विरेंद्र महतो एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की विधि सीखकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनकी बनाई सेव-बुनिया शुद्ध और गुणवत्तायुक्त होती है. इस वजह से दूर-दूर से लोग सेव बुनिया खाने के लिए आते हैं. दरअसल, विरेंद्र का ये व्यवसाय पिछले तैंतीस वर्षों से चल रहा है. विरेंद्र का जन्म शहर के आर्य नगर में हुआ था. उनके पिता स्व फागू महतो भी सेव बुनिया बनाने का काम करते थे.
पिता के साथ ही शुरू किया था सेव-बुनिया बनाना : विरेंद्र बचपन से ही अपने पिता के साथ सेव बुनिया बनाने का काम करते थे. उन्हें इस काम में बहुत दिलचस्पी थी. उन्होंने अपने पिता से सेव बुनिया बनाने की सारी विधियां सीख ली. जब बिरेंद्र बड़े हुए तो 1982 में उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद वह बड़े भाई ने इसे बनाना शुरू किया. उनकी भी मौत हो जाने के बाद विरेंद्र ने इस व्यवसाय को संभाला और 1990 से वे इस व्यवसाय से जुड़ गए.
पिता से ही सीखी कारीगिरी : विरेंद्र ने अपने पिता से सीखी हुई विधियों के इस्तेमाल करते हुए एक बेहतरीन सेव बुनिया बनाने की तकनीक विकसित की. उनकी सेव-बुनिया शुद्ध घी और शुद्ध सामग्री से बनती है. इसलिए उनकी सेव बुनिया की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आसपास के गांवों में फैल गई. लोग उनके सेव बुनिया को खाने के लिए दूर-दूर से आने लगे. सेव बुनिया की मांग इतनी बढ़ गई कि उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाना पड़ा. सेव बुनिया की प्रसिद्धि आज पूरे जिले में फैल चुकी है.
"शुद्ध बेसन की बुनिया बनाता हूं. हर दिन 30 किलो बेसन का सेव बुनिया बनाता हूं. अलग विधि से हमलोग सेव बुनिया बनाता हूं. इसे लोग काफी पसंद करते हैं."- विरेंद्र महतो, दुकानदार