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गोपालगंजः बाढ़ के पानी ने दर्जनों घरों को किया ध्वस्त, लोग कर रहे सरकार से मदद की मांग - Ring dam

गोपालगंज के बरौली प्रखण्ड के मोहनपुर गांव के दर्जनों घर को बाढ़ के पानी ने अपने चपेट में ले लिया है. बाढ़ के पानी में दर्जनों घर ध्वस्त हो गए. वहीं बाढ़ पीड़ितों ने हाथ जोड़कर सरकार से सहायता की मांग की है.

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Published : Aug 15, 2020, 2:01 PM IST

गोपालगंजः जिले में आई विनाशकारी बाढ़ ने कई लोगो को बेघर कर दिया है. बाढ़ के पानी ने बरौली प्रखण्ड के मोहनपुर गांव के दो दर्जन से ज्यादा घर को अपने आगोश में ले लिया है. जिससे ये लोग इधर-उधर रहकर जीवन गुजारने को विवस है. वहीं इन लोगों को कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिली है.

बाढ़ के पानी में ध्वस्त घर

बाढ़ के पानी का दबाव
दरअसल, वाल्मीकिनगर बराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी का दबाव ना ही रिंग बांध झेल पाया और ना ही सारण मुख्य बांध. जिससे बाढ़ का पानी कई गांव में प्रवेश कर गया. जिससे चारो ओर हाहाकार मच गया.

पानी में बहा घर

घरों में घुसा बाढ़ का पानी
स्थानीय निवासी पंकज कुमार सिंह उस काली रात को याद कर सिहर जाते है. इनके आंखों के आंसू उस रात को याद कर थमने का नाम नहीं ले रहे है. जब उनके आंखों के सामने उनके मकान ध्वस्त हो गए. किसी तरह अपना और अपने परिवार के जान बचाकर घर से निकल पाए. उन्होंने कहा हम गरीब आदमी है. मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं. अब कहां से मकान बनाएंगे. पंकज ने हाथ जोड़कर सरकार से सहायता की मांग की है.

देखें पूरी रिपोर्ट

आंखों के सामने मकान हो गए ध्वस्त
वहीं राजकिशोर साह ने बताया कि वह राजमिस्त्री का काम करते हैं. उनका भी पूरा मकान पानी में ध्वस्त हो गया. आज भी उनके समान मकान के मलबे में फंसे हुए है. जिसे वह निकाल नहीं पा रहे हैं. आंखों के सामने देखे गए तबाही का मंजर वह भूल नहीं पा रहे हैं. अपना दुखड़ा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मेरा सारा समान बर्बाद हो गया. आज भी सभी समान मकान के मलबे में फंसा हुआ है. जिससे चाह कर भी वह निकाल नहीं पा रहे हैं, क्योंकि आज भी पानी का बहाव काफी तेज है. जिस सड़क पर लोगों का अवगमन होता था. उस सड़क पर पांच से छः फीट पानी बह रहा है. सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई.

सड़कों का कटाव

लोगों को हो रही परेशानी
स्थानीय लोगों ने बताया कि इतनी बड़ी विपत्ति से हम लड़ रहे है. लेकिन हम लोगों को अभी तक प्रशासन के तरफ से सिर्फ एक प्लास्टिक ही मिल पाया है. इसके अलावा ना ही खाने की व्यवस्था है और ना ही रहने का कोई शरण. सड़क किनारे प्लास्टिक लगाकर जीवन गुजार रहे हैं.

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