गोपालगंज: किसानों की पहले से चरमराई हुई आर्थिक हालत लॉकडाउन के बाद और भी डगमगा गई है. उन्हें इससे उभारने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन की तरफ से कुछ हद उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. किसानों को अपना व्यवसाय शुरू करने में तरह-तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
टेढ़ी खीर है अनुदान लेना
इनमें बैंकों से लोन न मिलने मुख्य कारणों में से एक है. लोन नहीं मिलने के कारण इच्छुक किसान भी मछली पालन और इस तरह के अन्य रोजगार नहीं अपना पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि बैंकों की आनाकानी की वजह से मछली पालन का दायरा भी सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा है. वहीं विभाग तभी अनुदान देता है जब कार्य पूरा हो जाए. ऐसे में कम पूंजी वाले किसान अपना फार्म खड़ा करने में पिछड़ जाते हैं.
विभागीय प्रक्रिया में फंसता है पेंच
दरअसल सरकार द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. ताकि अधिक से अधिक लोग मछली पालन से जुड़कर बेरोजगारी दूर कर सकें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाएं. इसके लिए सरकार द्वारा 45 से 90 प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था की गई है, लेकिन इसमें पेंच यह है कि अनुदान तभी मिलेगा जब किसान मछली पालन के लिए तालाब की खुदाई व आवश्यक संसाधन की व्यवस्था पूरी कर लें. ऐसे में जो कम पूंजी के इच्छुक किसान मछली पालन करना चाहते हैं वो नहीं कर पाते हैं.
किसानों की मदद करने में हिचकिचाते हैं बैंक!
कुछ इसी तरह की समस्या सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी विवेक सिंह के सामने भी है. जिन्होंने मछली पालन शुरू करने की कोशिश की. इन्होंने अपने पैसों से तालाब की खुदाई तो करवा ली. लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो मदद के लिए बैंक की तरफ दौड़े. बैंक ने इन्हें लोन देने से इनकार कर दिया. अब तालाब आधा-अधूरा पड़ा है.