गोपालगंज: कोरोना काल और बाढ़ ने मत्स्य पालन पर ग्रहण लगा दिया है. कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन ने जहां इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, तो वहीं बिहार में आई बाढ़ ने इनकी पूंजी को पानी में बहा दिया. ऐसे में मत्स्य पालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.
बात करें, मांझा प्रखंड के गौसिया गांव की तो यहां मत्स्य पालक जितेंद्र बिन बताते हैं कि वे दो साल पहले इस व्यवसाय से जुड़े थे. शुरूआत में मछली पालन से अच्छी खासी कमाई हुई. लेकिन इस साल कोरोना और बाढ़ ने सबकुछ तबाह कर दिया है. जितेंद्र 4 एकड़ जमीन में तालाब बनवा मछली पालन करना शुरू किया था. इस बार आई बाढ़ में उनका व्यवसाय चौपट हो गया है. वो कहते हैं कि परिवार के भरण पोषण में काफी मुश्किलें आ रहीं हैं.
गोपालगंज से अटल बिहारी पांडेय की रिपोर्ट बाढ़ प्रभावित इलाका
कोरोना से हालात कुछ बहुत सुधरे ही थे कि सारण तटबंध के टूटने के बाद इलाके जलमग्न हो गया. बाढ़ के पानी ने क्या खेत और क्या मकान सभी को अपनी जद में ले लिया. ऐसे में मत्स्य पालन का व्यवसाय भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया. मत्स्य पालकों की मानें, तो उनकी मछलियां बाढ़ के पानी में बह गईं.
पीड़ित मत्स्य पालकों की मानें तो लॉकडाउन में महंगे दामों पर उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों से मछली के बीज की खरीदारी की थी. रोजना 5 से 10 बोरी खाना मछलियों को खिलाई जाती हैं. इसके रखवाली के लिए दो व्यक्तियों को रखा गया था. मत्स्य पालकों ने कर्ज लेकर आत्मनिर्भर बनने के जो सपने संजोए थे, बाढ़ ने उनमें पानी फेर दिया.
बुरी तरह बाढ़ की चपेट में रहा गोपालगंज 15 लाख का नुकसान
बड़े मत्स्य पालकों का कहना है कि उन्हें तकरीबन 12 से 15 लाख रुपये की चपत लगी है. बरौली प्रखंड के अदमापुर गांव निवासी अली अख्तर ने आठ एकड़ में मछली के बीच का व्यवसाय किया. वो मछलियों के बीज को कलकत्ता और यूपी से मंगवाकर अपनी हेचरी में मछली पालन कर रहे थे. कोरोना काल में पहले तो उन्हें मछलियों के दाने और दवाईयों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. अली कहते हैं कि महंगे दामों पर इनकी खरीददारी की. अब जब मछलियां तैयार हुईं, तो वे बाढ़ के पानी में बह गईं. अली ने बताया कि उन्हें 10 लाख का नुकसान हुआ है.
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ के कारण पांच प्रखंडो में मछली जीरा फॉर्म में 150 हेक्टेयर में 76 तालाबो की क्षति हुई है. अकेले मांझा प्रखंड में करीब 550 सरकारी और गैर सरकारी तालाबों में मछली का पालन होता है. वहीं, 5 प्रखंडों में कुल सरकारी और गैर सरकारी तालाबों की संख्या 12 से 1 हजार 500 है. कोरोना और बाढ़ के कारण मछली के व्यवसाय में 80 प्रतिशत प्रभावित हुआ है.