गोपालगंजःसरकार के जरिए संचालित मत्स्य पालन योजना जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. जिस कारण विभाग को लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पा रही है. इसके अलावा विभाग मछली पालन की इच्छा रखने वालों को रोजगार भी मुहैया नहीं करा रहा है. यही वजह है कि सरकार के जरिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में विभाग फिसड्डी साबित हो रहा है. मत्स्य योजना से आस लगाए बेरोजगार युवाओं को भी बेरोजगारी के दंश से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है.
नहीं मिली योजनाओं में सफलता
जिले के युवा मछली पालन कर रोजगार पाने के लिए अब भी तरस रहे हैं, लेकिन विभाग के सुस्त कार्यप्रणाली और कार्य में पारदर्शिता की कमी के कारण योजनाएं सफलता की डगर पर आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. इस कारण मछली के लिए लोगों को बाहर से आने वाली आपूर्ति पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. जिले में मत्स्य विभाग की योजना की लक्ष्य अभी काफी दूर है. सरकार ने समान कोटी सहित अनुसूचित जाति जनजाति के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई है. जिनका जिले में क्रियान्वयन किया जाना है, लेकिन इस काम नहीं होने से लोगों को काफी नाराजगी है.
योजनाओं पर नहीं हो रहा अमल
इस योजनाओं पर अमल नहीं होने के कारण युवाओं सहित मछली पालन की इच्छा रखने वाले लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. जिससे मछली पालन में यह जिला काफी पीछे है. जबकि जिले में मछली का खपत 17.06 हजार मैट्रिक टन है और सरकारी उत्पादन महज 4.6 हजार मैट्रिक टन होता है. वहीं, निजी स्तर की बात करे तो जिले में निजी स्तर पर उत्पादन करीब 6.7 हजार मैट्रिक टन उत्पादन होता है. बाहरी मछलियों के बात करें तो बाहर से कुल 5.4 मैट्रिक टन मछली का आयात होती है. जबकि सरकार के जरिए मत्स्य पालन विभाग को सरकारी स्तर पर कुल 11.66 हजार मैट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जो 11.66के बदले महज 4.6 हजार मैट्रिक टन ही उत्पादन कर सका. जिससे स्पष्ट होता है कि विभाग अपने लक्ष्य के प्रति कितना गम्भीर है.