गोपालगंज: कहते है जहां चाह वही राह और सच्ची लगन व मेहनत के बदौलत हर कठिन काम को आसान बनाकर बेहतर किया जा सकता है. जिसका जीता जागता उदाहरण गोपालगंज के निवासी एक किसान ने पेश किया है. दरअसल, जिले के विशम्भरपुर प्रखंड के सिपाया गांव निवासी किसान मनीष तिवारी के पिता चाहते थे कि वह पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करें. लेकिन, मनीष ने यह मन में ठान ली थी कि चाहे जो हो जाए उसे एक ऐसा किसान बनना है. जो अन्य किसानों से अलग कृषि कर बेहतर आमदनी कमा सकें और अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ सकें.
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उनको अपना ये सपना आज पूरा होते दिख रहा है. किसान मनीष तिवारी ने पारंपरिक खेती (Traditional Farming) को छोड़ 25 एकड़ में समेकित कृषि (Integrated Farming System) कर रहे हैं और सलाना दस लाख की कमाई करते हुए 20 लोगों को रोजगार भी देते हैं. इतना ही नहीं इस कार्य से उसने अपने भाईयों को भी पढ़ाया और एक भाई को मुम्बई में अधिवक्ता बनाया है. हालांकि, वो चाहते थे कि उनका बेटा भी कृषि करें, लेकिन परिजनों के कहने पर उन्होंने अपने बेटे को किसान नहीं बल्कि इसी कृषि की कमाई से इंजीनियर बना दिया.
जिले के किसान मनीष तिवारी की पहचान एक जागरुक और उन्नत किसान के तौर पर होती है. खेती में नये प्रयोग, सही समय की पहचान और खेती का प्रशिक्षण पाकर मनीष ने आज यह सफलता पायी है. कृषि के जरिये ही मनीष ने अपनी एक अलग पहचान बनाई.
विश्वम्भरपुर प्रखण्ड के सिपाया गांव निवासी दिवंगत राजमंगल तिवारी के बेटे मनीष तिवारी चार भाई और एक बहन में सबसे बड़े हैं. पिता का निधन 1995 में कैंसर से हो गया था, तब वो छठवीं कक्षा में पढ़ते थे. मनीष पुराने दिनों की बातों को याद करते हुए कहते हैं कि उनके पिता राजमंगल तिवारी चाहते थे कि पढ़ लिखकर वे कुछ बने और सरकारी नौकरी करें. लेकिन उनके मन में अपने खेत व फसल से प्यार था और वे किसान बनना चाहते थे.
''मुझे शुरू से ही मन में यह लालसा थी कि मैं खेती ही करूंगा, क्योंकि अधिकांश लोग खेती छोड़ रहे थे. लेकिन, मैंने यह मन में ठान लिया कि एक ना एक दिन ऐसी खेती करुंगा जो अलग हो. इसी कृषि की बदौलत हमने भाइयों व अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर एक काबिल इंसान बनाया है. साथ ही 20 लोगों को रोजगार दिया है. मैं इस काम से खुश हूं.''-मनीष तिवारी, किसान
इसी बीच उन्हें पढ़ाई से जब भी समय मिलता वो अपने दादा के साथ खेत पर चले जाते और खेती करते रहते थे. किसी तरह उन्होंने स्नातक की उपाधि ली, लेकिन आगे की पढ़ाई करना छोड़ दिया और पूरी तरह खेती पर निर्भर हो गए. 2011 में उन्होंने अपने खेतों में कुछ पेड़ लगवाए. साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त किया और अपने 25 एकड़ के प्लाट में समेकित खेती की शुरुआत कर डाली. उद्यान विभाग व कृषि विभाग द्वारा भी भरपूर सहयोग मिला और आज मनीष समेकित खेती के मामले में जिले के पहला किसान बने. बहरहाल, मनीष ने अपने 25 एकड़ के प्लॉट में चुकन्दर दस कट्ठा, लहसुन 2 एकड़, प्याज 2 एकड़, सरसों 2 एकड़ कर रखी है.
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