गोपालगंजः रविवार की सुबह आगरा के रसूलपुर गांव के पास हुए बस हादसे में जिले के तीन मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई. हादसे के बाद उनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है. हादसे में मृतक एक मजदूर की बेटी ने रो-रोकर बताया कि यहां काम नहीं मिलने पर पापा दिल्ली कमाने के लिए गए थे. लेकिन दूसरे दिन ही उनकी मौत की खबर आ गई.
बता दें कि एक साथ तीन मजदूरों की मौत के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है. मृत लक्ष्मी साह की मां और बच्चे इस हादसे से काफी सदमे में हैं. बेटी पूजा ने रो-रोकर बताया कि लॉकडान में बाहर से वापस आए थे, क्वॉरेंटीन सेंटर में 14 दिन गुजारा फिर काम नहीं मिला तो घर में भुखमरी का आलम हो गया.
'कमाने के लिए दिल्ले जा रहे थे पापा'
मजदूर की बेटी ने बताया कि पापा को मना किया मत जाइये, लेकिन वो बोले- 'नहीं जाएंगे तो तुम लोगों को कहां से खिलाएंगे'. वहीं, मासूम बेटे ने बताया कि दो दिन से परिवार के लोग भूखे थे, ये देखकर उसके पिता ने जाने का फैसला कर लिया. इन बच्चों की मां पहले ही गुजर चुकी है. अब बच्चों के लिए लक्ष्मी साह की बुढ़ी मां ही उनका सहारा हैं.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
उधर हादसे में मारे गए दूसरे मजदूर मोतीलाल ठाकुर के परिवार पर तो कुदरत ने कहर ही बरपा दिया है. इनकी चार पुत्रियां हैं, अभी सब की शादी होनी है. अब बेटियों की शादी कैसे होगी, इसकी चिंता में इनकी विधवा मां की आंखें पथरा गई हैं. वहीं, हादसे में मारे गए चंद्रिका राम भी अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति थे. इनकी मौत से इस परिवार पर भी दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. तीनों परिवार की स्थिति देखकर गांव वालों के भी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. तीनों मजदूरों की मौत ने पूरे इलाके को झंकझोर दिया है.
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गांव लाया गया मजदूरों का शव
बताया जाता है कि लोहिजरा गांव निवासी लक्ष्मी साह, मोतीलाल ठाकुर, चंद्रिका राम, वीरबल महतो और नरेश महतो परिवार के भरण पोषण के लिए शनिवार की रात नौ बजे महम्मपुर से दिल्ली जाने वाली बस में सवार हुए थे. सोमवार की सुबह हादसे में मारे गए लक्ष्मी साह, मोतीलाल ठाकुर, चंद्रिका राम का शव लोहिजरा गांव लाया गया. हादसे में घायल वीरबल महतो और नरेश महतो का इलाज आगरा के अस्पताल में चल रहा है.
परिवार ने लगाई सरकार से आस
चंद्रिका राम और मोतीलाल ठाकुर मई में ही दिल्ली से अपने गांव लौटे थे. लेकिन यहां कोई काम नहीं होने के कारण अपने तीन अन्य साथियों के साथ ये दोबारा दिल्ली जा रहे थे. दिल्ली में ये लोग सापुरजी कम्पनी में काम करते थे. लेकिन दिल्ली पहुंचने से पहले रास्ते में ही बस दुर्घनाग्रस्त हो गई और तीन मजदूरों की मौत हो गई. अब मृत मजदूरों के परिवार को सिर्फ सरकार से ही उम्मीद बची है.