गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर सिधवलिया प्रखंड के पकड़ी झंझवा में एनएच- 28 के पास बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ऐसे में इसे प्रशासनिक उदासीनता और विभागीय लापरवाही कहना भी गलत नहीं होगा. क्योंकि जिस सोच के साथ इस समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च हुए लेकिन यह उस पर खरा नहीं उतर सका. आलम यह है कि डॉक्टरों की कमी के कारण स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटक गया है.
दरअसल, स्वास्थ्य केंद्र निर्माण के बाद से आज तक स्थानीय मरीजों को मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हो पाई हैं. यहां मरीजों के लिए कई तरह की सुविधा मुहैया कराने का प्रावधान था. लेकिन बदलते समय के अनुसार सारी सुविधाएं हवा-हवाई साबित हो गईं. इस स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड, एक्सरे समेत कई तरह की जांच और दवाइयां मुफ्त वितरण करने की तैयारी की गई थी. साथ ही ट्रॉमा सेंटर बनाने की तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा भी की गई थी.
आकर लौट जाते हैं दर्जनों मरीज
वहीं, दूसरी ओर आज तक यहां एक डॉक्टर के अलावा अन्य डॉक्टरों का पोस्टिंग भी नहीं हो सकी. स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले कई माह पूर्व यहां एक डॉक्टर अरविंद कुमार सेवा देते थे, जिनका ट्रांसफर उचकागांव समुदायिक स्वस्थ्य केंद्र में हो गया है. जिसके कारण इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटक गया. अब यहां मरीजों का इलाज नहीं होता है. आए दिन दर्जनों मरीज यहां आकर लौट जाते हैं.
गोपालगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 'डॉक्टरों की घोर कमी'
गौरतलब है कि 30 बेड के इस अस्पताल का निर्माण जून 2016 में शुरू हुआ था. जिसके निर्माण में तीन करोड़ 18 लाख की राशि खर्च हुई थी. 3 मंजिले अस्पताल की इमारत को सभी सुविधाओं से लैस बनाया गया. जो अब बेकार पड़ा है. मामले में सुरक्षाकर्मी बांके दुबे ने बताया कि पहले यहां एक डॉक्टर अरविंद कुमार इलाज करने आते थे. लेकिन उनका ट्रांसफर उचका गांव हो जाने के कारण अब नही आ रहे हैं. जिस वजह से यह अस्पताल बंद हो गया है. वहीं, सिविल सर्जन टीएन सिंह ने कहा कि यह सत्य है कि डॉक्टरों की घोर कमी है. इसके बावजूद जितने डॉक्टर हैं, उन्हीं से काम चलाया जा रहा है.