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गोपालगंजः लाखों की लागत से बने स्कूल में नहीं पढ़ते बच्चे, मवेशियों को बांधते हैं लोग

लाखों की लागत से छात्रों के लिए बनाया गया भवन विभागीय उदासीनता के कारण जानवरों का तबेला बन गया है. स्थानीय लोग इस पर अतिक्रमण कर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं.

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अमेठी कला राजकीय प्राथमिक विद्यालय

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Published : Jan 22, 2020, 1:15 PM IST

गोपालगंजः जिले की शिक्षा व्यवस्था भी अजीब है. कहीं पर भवन है तो छात्र नहीं और जहां छात्र हैं, वहां भवन नहीं. मजबूर होकर बच्चे किसी तरह उसी संसाधन में अपनी शिक्षा की नैय्या को पार लगा रहे हैं. जिले में लाखों की लागत से बना एक ऐसा स्कूल भी है जो मवेशियों को बांधने के काम में आ रहा है, लेकिन यहां पढ़ाई करने के लिए बच्चे नहीं आते हैं.

गाय बकरियों के काम आ रहा स्कूल
हम बात कर रहे हैं गोपालगंज के माझा प्रखंड के अमेठी कला पंचायत के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की. जहां छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए लाखों रुपये की लागत से भवन का निर्माण किया गया, लेकिन दुर्भाग्य है कि इस भवन में एक दिन भी छात्रों की पढ़ाई नहीं हुई. आलम ये है कि स्थानीय लोग इस विद्यालय का अतिक्रमण कर इसमें गाय बकरी बांधने लगे हैं. किसी ने स्कूल में टेन्ट के समान रखकर अपना बिजनेस शुरू कर दिया है.

स्कूल में बंधी बकरी

आज तक इस स्कूल में नहीं पहुंचे बच्चे
जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर मांझा प्रखण्ड के अमेठी कला गांव में आठ साल पहले छात्र छोटे भवन में ही शिक्षा ग्रहण करते थे. जिसे देख कर सर्व शिक्षा अभियान के तहत दो मंजिला भव्य भवन का निर्माण कराया गया. ताकि छात्र-छात्राएं आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सकें. लेकिन जिसके लिए इस भवन का निर्माण हुआ, वो आज तक यहां तक नहीं पहुंचे.

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पुराने बने भवन में ही पढ़ते हैं बच्चे
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये विद्यालय वर्ष 2012-13 में बना था, यहां काफी बच्चे नामांकित थे. लेकिन धीरे धीरे यहां बच्चों की संख्या कम हो गई. जो बचे छात्र हैं, वह पूर्व के बने भवन में ही पढ़ाई करते हैं. उचित देखभाल और पढ़ाई नहीं होने के कारण स्थानीय लोग यहां गाय और बकरी पालन लगे.

स्कूल में बांधे गए जानवर

प्राचार्य का दावा पढ़ने आते हैं छात्र
इस संदर्भ में स्कूल के प्राचार्य से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि नए भवन में भी बच्चों की पढ़ाई होती है. यहां वर्तमान में 143 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. जबकि शिक्षकों की संख्या 9 है. हालांकि मौजूदा हालात देखने से यह पता चलता है कि प्राचार्य ने जो बात कही उसमें कोई सच्चाई नहीं है.

जानकारी देते संवाददाता

बदहाली का दंश झेल रहा है स्कूल
कुल मिलाकर विभागीय उदासीनता और लापरवाही के कारण लाखों के खर्च से बनाया गया भवन बदहाली का दंश झेल रहा है. वहीं, कुछ ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र छात्राएं वर्षों से एक भवन का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन उन्हें आज तक एक भवन नसीब नहीं हुआ.

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