गोपालगंज: जिले के 1757 आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार के रूप में मिलने वाला दूध करीब तीन माह से नहीं मिल रहा है. इस कारण ये बच्चे पोषाहार से वंचित हैं. वहीं, विभाग की ओर से 15 लाख 18 हजार 84 रुपये की कटौती कर बच्चों की हकमारी की जा रही है.
आंगनवाड़ी केंद्रों को नहीं मिल रहा है दूध
सेविका का का कहना है कि सरकारी विभाग की ओर से दूध की राशि काट ली जाती है, लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है, ताकि बच्चों को दूध मिल सके. सरकार और विभाग की योजना है कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ मानक के अनुरूप पौष्टिक भोजन मिले सके, ताकि गरीब बच्चे कुपोषण का शिकार नहीं हो सकें.
आंगनवाड़ी केन्द्र पर बच्चों को नहीं मिल रहा दूध सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को पोषक तत्व वाले भोजन उपलब्ध कराने के लिए लाखों का खर्च किया जाता है. आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को प्रत्येक बुधवार को अंडा के साथ दूध उपलब्ध कराना है, लेकिन पिछले कई माह जिले के बच्चे को दूध नहीं मिल रहा है.
दूध से वंचित हैं आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चे सिस्टम की है लापरवाही
विभाग की ओर से प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र को 200 ग्राम के औसतन 15 पैकेट दूध उपलब्ध कराया जाता है. एक पैकेट में दूध तैयार कर केंद्र पर औसतन 10 बच्चे को पीने के लिए दिया जाता है. इस तरह केंद्र पर औसतन 40 बच्चों पर प्रतिदिन 4 पैकेट दूध का खर्च आता है. विभाग की ओर से राज्य स्तर पर सूखा पैकेट बंद दूध की खरीदारी की जाती है. दूध की खरीदारी के बाद विभागीय स्तर पर परियोजना को उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन जिले में सिस्टम की कुव्यवस्था का आलम यह है कि लाखों की राशि प्रतिमाह खर्च करने के बावजूद आंगनवाड़ी केंद्रों पर दूध नहीं पहुंच रहा है.