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गोपालगंज: छठव्रतियों ने खरना का प्रसाद किया ग्रहण, 36 घन्टे के निर्जला व्रत की हुई शुरुआत

गोपालगंज में लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण (Chhath Vrati Take Prasad Of Kharna In Gopalganj) किया. इसके वर्ती 36 घन्टे का निर्जला व्रत रखेंगी. अब रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगी. पढ़ें पूरी खबर...

छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद किया ग्रहण
छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद किया ग्रहण

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Published : Oct 29, 2022, 10:21 PM IST

गोपालगंज:बिहार के गोपालगंज मेंलोकआस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार को छठ व्रतियों ने खरना का धार्मिक अनुष्ठान पूरा कर प्रसाद ग्रहण किया. व्रतियों के प्रसाद खाने के बाद श्रद्धालुओं के प्रसाद खाने का दौर शुरू हुआ, हर कोई इस प्रसाद को ग्रहण कर भगवान भास्कर को नमन करते हुए नजर आए. दरअसल खरना का प्रसाद बिल्कुल साफ-सुथरे और पवित्र तरीके से तैयार किया जाता है. क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व होता है. खरना के प्रसाद खीर को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है. खीर बनाने के लिए जलावन के रूप में आम की लकड़ियों का इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही तकरीबन 36 घंटे का व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो गया.

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36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू :छठ व्रती अब रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ देकर प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ेंगी. रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके लिए व्रती तालाब, नदी के घाट पर पहुंच कर रविवार की शाम अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगी. बता दें कि छठ को लेकर हर ओर भक्ति और उत्साह का माहौल है. छठी मइया के गीत कांचे ही बांस के बहंगिया... मारबो रे सुगवा धनूख से.., दर्शन दिही भोरे भोरे हे छठी मइया...जैसे गीतों से समूचे गोपालगंज जिला का माहौल भक्तिमय रंग में रंग गया है.


छठ के दूसरे दिन खरना :गौरतलब है किलोक आस्था के महापर्व छठको लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शुरू हो चुकी है.

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

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