गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज में कुचायकोट प्रखण्ड के सासामुसा के पास स्थित NH-27 के किनारे बाण गंगा (Chhath Puja on banks of Baan Ganga fulfills wishes) घाट स्थित है. इस छठ घाट से कई ऐतिहासिक व धार्मिक मान्यताएं जुड़ी है. यहां छठ करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर छठ करने से हर मन्नते पूर्ण होती है. इसको लेकर श्रद्धालु भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य देने के लिए पहुंचते है लेकिन शासन-प्रशासन के निरंकुशता के कारण यह घाट व बाण गंगा उपेक्षा का शिकार है.
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दूर-दराज से लोग यहां छठ पूजा करने पहुंचते हैंः लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर जिलेभर का वातावरण भक्तिमय हो गया है. छठ घाटों की साफ-सफाई, रंग-रोगन व सजावट का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. वहीं जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कई ऐसे छठ घाट भी हैं, जहां छठ व्रतियों की मन्नतें पूरी होती हैं. इसमें कुचायकोट प्रखंड के सासामुसा में दाहा नदी जिसे बाण गंगा के नाम से भी जानते हैं, के किनारे छठ करने से हर मन्नते पूर्ण होते है. शायद यही कारण है इसे मन्नत घाट के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रद्धा के साथ मांगी गई मन्नतों को छठी मईया अवश्य पूरा करती हैं. इसी आस्था को लेकर व्रती इस घाट पर भक्ति व समर्पण के साथ पूजा-अर्चना करते हैं.
यहां छठ करने से पूरी होती है मन्नतेंः स्थानीय प्रखंड से होकर गुजरनेवाले एनएच-27 के सटे ही बाण गंगा नदी के किनारे मन्नत घाट स्थित है. यहां पर छठ पूजा करने के लिए सासामुसा बाजार, सासामुसा गांव, आसपास के कई गांवों सहित दूर दराज से व्रती व उनके परिजन आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां आनेवाले कई व्रतियों के परिजनों को नौकरी मिल गयी. किसी का बिजनेस काफी आगे बढ़ गया. इसी तरह कई को संतान सुख की प्राप्ति हुई. इसलिए हर साल यहां पर कई लोग मन्नत मांगने के लिए छठ पूजा करने आते हैं.
मन्नत पूरा होने पर बनवाते हैं सुरसुप्ताः पूर्व मुखिया ने बताया कि मन्नत पूरा होने पर यहां पूरे परिवार के साथ आकर पूजा व अर्चना करते हैं. इसके अलावा जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे यहां पर सुरसुप्ता का निर्माण भी कराते हैं. मन्नत पूरी होने पर यहां सुरसुप्ता की संख्या भी हर साल बढ़ती ही जा रही हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस छठ घाट की कई ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता होने के बावजूद इस जगह का पूर्ण विकास नहीं हो सका है. उन्होंने त्रेता युग की जिक्र करते हुए कहा कि जब भगवान श्री राम जनकपुर से वापस अयोध्या लौट रहे थे. तभी उन्होंने यहां विश्राम किया था और माता सीता को प्यास लगने के बाद बाण से नदी की धारा को प्रवाहित किया था. तब से यहां लोग स्नान ध्यान पूजा पाठ करने लगे साथ ही यहां छठ पूजा करने से मन्नते पूर्ण होते देख लोगों में आस्था जगी. इससे इस घाट को मन्नत घाट कहा जाने लगा.
"यह एक पर्यटक स्थल के रूप में इसका विकास होना था. त्रेता युग की जिक्र करते हुए कहा कि जब भगवान श्री राम जनकपुर से वापस अयोध्या लौट रहे थे. तभी उन्होंने यहां विश्राम किया था और माता सीता को प्यास लगने के बाद बाण से नदी की धारा को प्रवाहित किया था. तब से यहां लोग स्नान ध्यान पूजा पाठ करने लगे साथ ही यहां छठ पूजा करने से मन्नते पूर्ण होते देख लोगों में आस्था जगी. कुछ सालों से यहां प्रदूषण बढ़ा है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है"-धर्मेंद्र मिश्रा, पूर्व मुखिया