गोपालगंज: जिले के हथुआ अनुमंडल का मीरगंज नगर पंचायत व्यवसायियों का गढ़ माना जाता है. जिला मुख्यालय से ज्यादा मीरंगज में व्यापार होता है. वहीं, मीरगंज में अपराधियों का भी बोलबोला है, आए दिन अपराधी व्यवसायियों से रंगदारी वसूलते है. साथ ही बाइक चोरी, छिनतई की घटनाओ में भी वृद्धि होती जा रही है. जिसको देखते हुए नगर पंचायत ने वर्ष 2016-17 में शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे. ताकि अपराधियों पर नजर रखी जा सके. लेकिन सीसीटीवी कैमरे लगने के कुछ दिन बाद से ही बंद पड़े हैं.
वारदात को देते है अंजाम
शहर के सड़क किनारे खंभे पर लगे सीसीटीवी देखकर आम लोगों को लगता है कि हर कोई इसकी नजर में है. लेकिन इसकी पोल तब खुल जाती है, जब बेखौफ अपराधी वारदात को अंजाम देकर निकल जाते हैं और पुलिस को कोई सुराग तक नहीं मिल पाता.
सुरक्षा व्यवस्था के नहीं है इंतजाम 27 लाख रुपये किए थे खर्च
बता दें कि सार्वजनिक उपक्रमों के सहयोग से नगर पंचायत ने प्रमुख चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे. हर चौक चौराहे पर 360 डिग्री की गतिविधियां कैद हो रही थी. जिसमें नगर पंचायत ने 2 साल पहले करीबन 27 लाख रुपये खर्च किए थे.
चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे पड़े है बंद कैमरे बंद होने से बढ़े अपराधियों के हौसले
ऑनलाइन निगरानी के लिए मीरगंज थाना में कंट्रोल रूम बनवाया गया था. जहां एलसीडी के माध्यम से पुलिस विभिन्न चौक चौराहों की गतिविधियों पर नजर रखती थी. लेकिन वर्तमान समय में एलईडी स्क्रीन धूल खा रही है. शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे बंद होने से अपराधियों के हौसले बढ़ गए हैं. सड़क और बाजार से बाइक चोरी की वारदात बढ़ रही है. यहां तक कि लूटपाट की घटना करके अपराधी भाग रहे हैं. लेकिन पुलिस के पकड़ में नहीं आ पा रहे हैं.
अधिकारी बरत रहे लापरवाही
वहीं, वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ने में पुलिस सिर्फ अंधेरे में तीर चला रही है. क्योंकि यहां लगे सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से बंद पड़ चुके है. सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामले में भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं. अगर सीसीटीवी कैमरा चलता रहता तो पुलिस को लूट, छिनतई और गोली कांड के खुलासे करने में सहूलियत होती. लेकिन इस मामले में पुलिस प्रशासन सहित यहां के सांसद विधायक भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.