गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में राज्य का पहला ऑक्सीजन पार्क (Bihar First Oxygen Park Will Be Built In Gopalganj) बनेगा. यह पार्क गोपालगंज जिले के ऐतिहासिक थावे के जंगल में बनाया जाएगा. आजादी के अमृत महोत्सव पर वन विभाग की ओर से इसकी शुरूआत की गई है. ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर पहले से ही श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसके चारों तरफ हरा-भरा दिख रहा जंगल आने वाले लोगों के लिए मनोरम दृश्य उपस्थित करता है. ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर, जहां देशभर के पर्यटक सालों भर यहां आते हैं, पर्यटकों के लिए इसी जंगल में बिहार का पहला ऑक्सीजन पार्क बनने जा रहा है.
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बिहार में पहला ऑक्सीजन पार्क बनने जा रहा : वन विभाग की ओर से नगर वन योजना के तहत इसे विकसित किया जा रहा है. क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ए के द्विवेदी ने बताया कि नगर वन में कई तरह के पार्क बनाये जायेंगे, इसमें एक ऑक्सीजन पार्क होगा. उन्होंने बताया कि इसका मूल उदेश्य है कि पर्यटक यहां आये तो अधिक से अधिक ऑक्सीजन प्राप्त कर सके. द्विवेदी कहते हैं कि ये पार्क कोई साधारण पार्क नहीं होगा, बल्कि यहां तमिलनाडु के सलेम स्थित पेरियार विश्वविद्यालय की तर्ज पर बांस की खास किस्म के पौधे लगाए जाने की तैयारी है. जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर थावे में 12.63 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस जंगल में देश भर से पर्यटक सालों भर आते हैं.
गोपालगंज में राज्य का पहला ऑक्सीजन पार्क बनेगा : इधर, वन प्रमंडल पदाधिकारी राम सुंदर एम ने बताया कि थावे में बनने वाले ऑक्सीजन पार्क में भीमा प्रजाति के बांस के पौधे लगाए जाएंगे. ये पौधे जब पेड़ बन जाएंगे तो लोगों को इससे ऑक्सीजन मिल पाएगा. भीमा बांस के पेड़ की खासियत यह है कि ये अन्य पेड़ों के मुकाबले 35 फीसदी अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है. साथ ही ये ज्यादा समय तक स्वस्थ रहते हैं. इस पेड़ से लोगों को ऑक्सीजन तो मिलेगी ही साथ ही वातावरण भी शुद्ध होगा. इसके अलावा यहां बटर फ्लाइ पार्क बनेगा जो तितलियों के लिए खास पार्क होगा. तितलियां क्लाइमेट के बारे में इंडिकेट करेंगी और पर्यटकों को लुभायेंगी.
पार्क थावे के जंगल में बनाया जाएगा : बता दें कि आजादी के 75वें साल के मौके पर आयोजित अमृत महोत्सव पर वन विभाग ने देशभर में 75 शहरों को नगर वन योजना के तहत चिन्हित किया है. जो कोरोना जैसे आपदा में लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस पार्क से जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन में मदद मिलेगी तथा सैर करने वालों की भरपूर ऑक्सीजन से सेहत भी सुधरेगी. इससे थावे मंदिर में पूजा के लिए आने वाले पर्यटक भी आकर्षित होंगे.
बांस की मुख्यतः प्रजातियां हैं-
1.ग्वाडुआ अन्गुस्टिफोलिया
2. गिगेंटोक्लोआ स्यूडोअरुंडिनेसिया
3. गिगेंटोक्लोआ लेविस
4. गिगेंटोक्लोआ एपस (लंबा बांस)
5. डेंड्रोकलामस स्ट्रिक्टस (नर बांस)
6. डेंड्रोकलामस गिगेंटस (विशाल बांस)
7. बम्बुसा वल्गरिस (आम बांस)
8. बंबुसा वेंट्रिकोसा (बुद्ध बेली बांस)
9. बम्बुसा टेक्सटिलिस (पतला बांस)
10. बम्बुसा पॉलीमोर्फा (बर्मी बांस)
11. बम्बुसा गुआंग्ज़िएंसिस (चीनी बौना)
12. बम्बुसा टुल्डा (लकड़ी का बांस)
13. बम्बुसा ब्लूमेना (कांटेदार बांस)
14. बम्बुसा बाँस (विशाल कांटेदार बाँस)
15. बम्बुसा बालकूआ (बाँस की मादा)