पटना :बीसीसीआई ने दक्षिण अफ्रीका (India South Africa Odi Series) के खिलाफ आगामी वनडे सीरीज के लिए 16 खिलाड़ियों वाले स्क्वॉड का ऐलान कर दिया है. टीम में एक नया नाम मुकेश कुमार (Bihar Cricketer Mukesh Singh In Team India) का भी है. बतौर तेज गेंदबाज मुकेश पिछले कुछ समय से घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने प्रदर्शन से उन्होंने चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचने में काययाब हुए है. मुकेश बिहार के गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड स्थित काकड़ कुंड गांव के मूल निवासी है.
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मुकेश जिले के काकड़कुंड गांव निवासी स्वर्गीय काशीनाथ सिंह के सबसे छोटे बेटे हें. मुकेश दो भाई और चार बहनों में सबसे छोटे हैं. उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की है. मुकेश ने बताया एक एक्सिडेंट ने मेरी तकदीर बदल दी. क्योंकि वर्ष 2010-11 में एक्सीडेंट के शिकार हो गए, जिसके बाद पिता ने कलकत्ता बुला लिया और वहीं से क्रिकेट का नया अध्याय शुरू हुआ. इस दौरान बंगाल टीम में 2014 में शामिल हुआ और रणजी ट्राफी के लिए हरियाणा के लाली ग्राउंड में वर्ष 2015 में वीरेंद्र सहवाग का विकेट लिया. टीम इंडिया में मुकेश के चयन होने के बाद गांव और मुकेश के घर के साथ-साथ उनके रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है.
मुकेश के पिता चलाते थे ऑटो:मुकेश के पिता काशीनाथ सिंह कोलकाता में ऑटो चलाते (Auto driver son mukesh kumar) थे. जो भी आमदनी होती थी, उसी से पूरे परिवार को गुजारा होता था. वहीं मकेश कुमार के चाचा धर्मनाथ ने कहा कि टीवी पर मुकेश को खेलता देख बहुत फख्र महसूस होती है। वह देश के लिए खेल कर देश का नाम रोशन कर रहा है.
''हम लोग बहुत खुश है. गांव के लोग भी बहुत खुश है. मेहनत के बल पर आगे बढ़ा. घर की स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उसने ग्रेजुएशन किया. बचपने से क्रिकेट खेलता था. वो कहता था कि मैं अपने मुकाम को हासिल करुंगा.'' - धर्मनाथ सिंह, मुकेश के चाचा
Whatssapp ग्रुप से सलेक्शन का पता चला : मुकेश कुमार को राष्ट्रीय टीम में चयन के बारे में तब तक पता नहीं चला था जब तक उन्हें भारतीय टीम के आधिकारिक वाट्सएप ग्रुप में शामिल नहीं किया गया. गुजरात के राजकोट में एक इंटरव्यू में मुकेश कुमार ने कहा, 'मैं बहुत भावुक हो गया. सब धुंधला सा लग रहा था. मुझे सिर्फ अपने दिवंगत पिता काशी नाथ सिंह का चेहरा याद आ रहा था. जब तक मैं बंगाल के लिये रणजी ट्रॉफी में नहीं खेला, तब तक मेरे पिता को नहीं लगा कि मैं पेशेवर तौर पर खेलने के लिये अच्छा हूं. उनको शक था कि मैं काबिल हूं भी या नहीं.'
रणजी फाइनल से पहले पिता का निधन : बता दें कि रणजी फाइनल से पहले ही उनके पिता का ‘ब्रेन स्ट्रोक’ से निधन हो गया. मुकेश सुबह ट्रेनिंग करते और अस्पताल में अपने पिता के पास अस्पताल में रहकर उनकी देखभाल करते. बिहार के गोपालगंज जिले के मुकेश ने कहा, 'आज मेरी मां की आंखों में आंसू थे. वह भी बहुत भावुक हो गयी थीं. घर पर हर किसी ने रोना शुरू कर दिया.'
''मेरा बाबू का सलेक्शन टीम इंडिया में हुआ है, आज मैं बहुत खुश हूं. यह उसकी जीत है. बचपन से खेलते-खेलते और लोगों व माता-पिता की दुआ से आज मुकेश अपने मुकाम तक पहुंचा. आज उसके पिता जिवित होते तो वे भी मुकेश की सफलता पर फूले नहीं समाते. दुख है कि उसके पिता इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज वो उसे आशीर्वाद दे रहे होंगे. मुकेश हमेशा फोन करता है. कल शाम 7 बजे मुकेश ने फोन किया और कहा कि मां मेरा सलेक्शन हो गया. तो मैंने उसे आशीर्वाद दिया.'' - मुकेश कुमार की मां
CAG में कार्यरत है मुकेश कुमार :मुकेश कुमार तीन बार सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) की परीक्षा में बैठ चुके हैं. उनके पिता चाहते थे कि वो सरकारी नौकरी करें. सीआरपीएफ तो नहीं लेकिन मुकेश प्रथम श्रेणी क्रिकेटर के तौर पर सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय) के साथ कार्यरत हैं.
नई गेंद से स्विंग करने की काबिलियत :मुकेश कुमार नई गेंद से बंगाल के सबसे नियमित तेज गेंदबाज हैं लेकिन न्यूजीलैंड ए के खिलाफ पहले टेस्ट में पांच विकेट और ईरानी कप के पहले दिन चार विकेट ने उनकी भारतीय टीम में जगह बनाने में अहम भूमिका निभायी. गेंद दोनों तरीकों से स्विंग कराने की उनकी काबिलियत पर इस 28 साल के खिलाड़ी ने कहा, 'आपके हाथों की कलाकारी भगवान की देन है, लेकिन उनका दिया हुए आर्शीवाद पर मेहनत नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा.'
बंगाल के लिए खेलते हैं मुकेश कुमार: मुकेश कुमार की बात करें तो वह घरेलू क्रिकेट में बंगाल के लिए खेलते हैं. 27 वर्षीय मुकेश कुमार राइट ऑर्म मीडियम बॉलिंग करते हैं, जबकि राइट हैंड बल्लेबाजी करते हैं. भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में जाना उनके लिये ज्यादा से ज्यादा सीखने का मौका होगा. उन्होंने कहा, 'जीवन का मतलब ही सीखते रहना है, जो कभी खत्म नहीं होता. मेरी कोशिश यह सुनिश्चित करने की होगी कि मैं जब तक क्रिकेट खेलूंगा तब तक सीखना जारी रहेगा.'
इस खिलाड़ी की नजर मुकेश पर पड़ी:मुकेश कुमार पहली बार गोपालगंज में प्रतिभा की तलाश प्रतियोगिता में अपनी गेंदबाजी का दम दिखाकर चर्चा में आये. उस दौरान 7 मैच में मुकेश ने एक हैट्रिक समेत कुल 34 विकेट लिये. जिसके बाद गोपालगंज क्रिकेट टीम के सीनियर खिलाड़ी सत्य प्रकाश नरोत्तम और उस दौरान हेमन ट्रॉफी के जिला क्रिकेट टीम के कप्तान अमित सिंह की नजर मुकेश पर पड़ी. जिसके बाद वे जिला टीम में खेलने लगे. उसके बाद स्टीयरिंग कमेटी के अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में मुकेश ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन बिहार में क्रिकेट की मान्यता नहीं होने के कारण मुकेश ने बंगाल से खेलना शुरू किया.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया :शिखर धवन (कप्तान), रितुराज गायकवाड़, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर (उप कप्तान), रजत पाटीदार, राहुल त्रिपाठी, ईशान किशन (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), शाहबाज अहमद, शार्दुल ठाकुर, कुलदीप यादव, रवि बिश्नोई, मुकेश कुमार, आवेश खान, मोहम्मद सिराज और दीपक चाहर