गया: शहर के अस्पतालों ने मुजफ्फरपुर घटना से अबतक सीख नहीं ली है. अस्पतालों की लापरवाही और कुव्यवस्था देखने को लगातार मिल रही है. दरअसल, ब्रिटिश शासन में यहां एक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण हुआ था. जिसे आज संक्रामक अस्पताल के नाम से जाना जाता है. इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां मरीज भर्ती होने से पहले सोचते हैं. क्योंकि यह अस्पताल खुद बीमार नजर आ रहा है.
इमरजेंसी में अस्पताल हैरत की बात है कि यह अस्पताल सूबे के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के घर के ठीक सामने है. इसके बावजूद पूर्व सीएम की इसपर नजर नहीं पड़ी है. अस्पताल की बुनियादी ढ़ांचा, सुविधा और स्वास्थ्य व्यवस्था खुद इमरजेंसी के हालत में है. अस्पताल परिसर में पूरी गन्दगी फैली हुई है. आलम यह है कि नाली का पानी पूरे अस्पताल परिसर से होकर गुजरता है. जिससे बीमारी होने का ज्यादा खतरा है. अस्पताल परिसर में फैली गन्दगी एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल
स्थानीय बताते हैं कि बगल के कुछ लोगों को छोड़ कर किसी को खबर नहीं है कि यहां कोई अस्पताल भी है. शहर के बीचोबीच बसा ये अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चलता है. पूर्व सीएम के घर होने के नाते उम्मीद थी कि इस अस्पताल को दुरुस्त किया जाएगा. लेकिन, अभी तक ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.
अस्पताल प्रभारी ने क्या कहा
अस्पताल प्रभारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि इस अस्पताल में डायरिया और टेटनस बीमारी के लिए लोग ज्यादा आते हैं. अस्पताल के ओपीडी में दर्जनों मरीज विभिन्न बीमारी से ग्रस्त आते हैं. सभी का इलाज किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में सिर्फ एकलौते वही डॉक्टर कार्यरत हैं. हालांकि, विभाग को इस बात की जानकारी कई बार दी गई है.
डीएम ने लिया संज्ञान
डॉक्टर ने कहा कि रही बात यहां फैली गन्दगी की. तो यहां के मोहल्ले का गंदा पानी ही बहता है. जो पूरे अस्पताल परिसर को खराब कर रहा है. ग्रामीण मवेशी बांधकर छोड़ देते हैं. वहीं, जिलाधिकारी ने बढ़ती गन्दगी को संज्ञान में लेते हुए अस्पताल परिसर की घेराबंदी भी की. अस्पताल प्रशासन की पूरी कोशिश है कि इस समस्या से निबटा जाए.