गया: विश्व के तीन स्थानों में से एक बिहार के गया में 1152 पन्नों की सबसे बड़ी (World Third Largest Quran In Gaya) व 140 साल पुरानी प्रिंटिंग कुरान (140 Year Old Printed Quran In Gaya) है. इस तरह की प्रिंटिंग कुरान ब्रिटिश म्यूजियम लंदन, मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़ यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश के बाद बिहार के गया में है. इसे वर्ष 1793 में हाथों से लिखा गया था. किंतु इसकी प्रिंटिंग 1882 में मयूर प्रेस दिल्ली में हुई. बिहार के गया के नाबागढ़ी रामसागर स्थित खानकाह मोनामिया चिश्तिया ( Khanqah Monamiya Chishtiya Gaya) में आज यह कुरान एक बड़ी धरोहर के रूप में मौजूद है.
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तफसीर ए हुसैनी और तफसीर ए अजीजी के नाम से है विख्यात:एक तरह से कुरान, इस्लाम के पाक ग्रंथ के साथ उसकी नींव है. मुस्लिम स्कॉलर के अनुसार विश्व में सबसे बड़ी कुरान 1882 ईसवी में प्रिंट हुई थी. इस प्रिंट हुई कुरान को विश्व में सिर्फ तीन स्थानों पर सुरक्षित रखा गया है. यह कुरान तफसीर ए हुसैनी और तफसीर ए अजीजी के नाम से विख्यात है. इसे हिंदुस्तान के विख्यात इस्लामिक स्कॉलर शाह अब्दुल अजीज मोहदिस देहलवी और शाह रफीउद्दीन मोहदिज देहलवी ने 1793 के आसपास में लिखा था. उनकी हिंदुस्तान और अरब में काफी प्रसिद्धि थी.
तीन भाषओं में है कुरान: सबसे बड़ी खासियत यह थी कि प्रिंटिंग हुई कुरान अरबी, फारसी और उर्दू तीनो ही भाषाओं में है. फारसी और उर्दू में इसकी प्रिंटिंग होने से इसे पढ़कर समझना काफी आसान हुआ है. 1882 में पहली बार बड़े फॉन्ट में यह कुरान छपी. रमजान के पाक माह में 140 साल पुराने इस कुरान शरीफ का दीदार करने गया को दूर-दूर से लोग आते हैं.
229 साल है पुरानी, तब हाथों से लिखी गई थी:वैसे हाथों से लिखी गई यह कुरान 1793 यानि कि 229 वर्ष पुरानी है. इसकी प्रिंटिंग हुए 140 साल हुए हैं. चूंकि हिंदुस्तान में सबसे पहले 1870- 80 के आसपास के दौर में ही प्रिंटिंग शुरू हुई थी और इसी दौर में 1882 में मयूर प्लेस दिल्ली में सबसे बड़े फाउंट और साइज वाले कुरान की प्रिंटिंग हुई थी. बड़े-बड़े स्कॉलर ने ऐसी कुरान खोजने शुरू किए तो पूरे विश्व भर में सिर्फ तीन जगहों पर पाया गया, जो कि लंदन और भारत के अलीगढ़ और और गया में है.