गया: पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गया में फल्गु नदी के पानी से तर्पण करने का खास महत्व है. लेकिन इन दिनों गर्मी की चलते नदी में पानी का संकट हो गया है. फल्गु नदी का पानी ऊपर नहीं बल्कि 20 फीट नीचे चला गया है. इस वजह से लोगों को गड्ढे खोदकर तर्पण आदि का काम करना पड़ता है. इसका फायदा स्थानीय लोग तर्पण करने वाले से उठा रहे हैं. स्थानीय लोग तर्पण के लिए जल तभी दे रहें जब उन्हें उसका उचित शुल्क मिलता है.
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फल्गु नदी में पिंडदान का महत्व
दरअसल गया जी में पिंडदान करने का महत्व है, पिंडदान की विधि में फल्गु के पानी का तर्पण करना खासा महत्व है. लेकिन इन दिनों फल्गु के जल पर संकट छाया है. विष्णुपद के मंदिर के सामने देव घाट के पास ही पिंडदानियों को फल्गु के जल से तर्पण का विधान है. लेकिन इस जगह पर पानी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है. इसकी वजह से पिंडदानियों के सामने संकट पैदा हो गया है.
फल्गु में गिर गया है जल स्तर
इस समस्या को देखते हुए तीन बंड़े-बड़े चुआंड़ी खुदवाये गये हैं. दो चुआंड़ी दो अलग-अगल पंडों के नाम से हैं और तीसरा सार्वजिनक है. जो सार्वजनिक है वह भी सूख चुका है. इन तीनों चुआंड़ी को जिला प्रशासन की ओर से नहीं बल्कि पंडों द्वारा खुदवाया गया है. इसी चुआंडी के अंदर जाकर पिंडदानी पिंड दान की क्रिया को संपन्न कराते हैं.
पिंडदानियों से रुपए लेते हैं स्थानीय
पिंडदान की क्रिया संपन्न कराने के दौरान चुआंड़ी खोदनेवाले पिंडदानियों से प्रति 'चुक्का' दस रुपये लेते हैं. हालांकि इस बात को खुले मन से पंडा नहीं बताते हैं, पर यह सच है. वह इतना जरूर कहते हैं कि जिसने मेहनत कर चुआंडी खोदी है वह यदि कुछ पैसा पिंडदानियों से लेता है कोई हर्ज नहीं है.