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Published : Oct 21, 2020, 7:32 PM IST

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गया: पूर्व CM जीतनराम मांझी का ग्रामीणों ने किया विरोध, रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा

गया में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का ग्रामीणों ने विरोध किया. जिसके बाद उन्हें लौटना पड़ा. इस दौरान लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया.

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वोट बहिष्कार

गया:बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे प्रत्याशियों को मतदाताओं के आक्रोश का भी सामना करना पड़ रहा है. मतदाताओं के आक्रोश का सामना पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भी करना पड़ा. जिले के बाराचट्टी के सरवा बाजार में पूर्व विधायक ज्योती मांझी के समर्थन में जीतनराम मांझी पहुंचे थे. जहां ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाते हुए उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया.

जीतनराम मांझी का विरोध
बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से एनडीए समर्थित हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की प्रत्याशी ज्योति मांझी अपना भाग्य आजमा रही हैं. ज्योति मांझी के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जैसे ही सरवां बाजार पहुंचे, वहां ग्रामीणों ने जीटी रोड से सरवां बाजार तक सड़क नहीं होने पर जमकर विरोध किया.

वोट बहिष्कार का निर्णय
जीटी रोड सुलैबट्टा से लेकर सरवा बाजार होते हुए लाडू डेमा तक जाने वाली सड़क की हालत काफी जर्जर है. जिसको लेकर इलाके के लोगों ने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है. वोट बहिष्कार के निर्णय से अब तक सत्ता पक्ष और विपक्ष के प्रत्याशी क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए हैं.

रोड नहीं तो वोट नहीं
मतदान का समय नजदीक आने के बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) के सुप्रीमो और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पहली बार यहां पहुंचे थे. उनके पहुंचते ही स्थानीय ग्रामीणों ने घेर लिया और बैनर के साथ रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाना शुरू कर दिया और पूरे बाजार में घूमते रहे.

दर्जनों लोगों पर मुकदमा
ग्रामीणों की मांग है कि अब तक इस क्षेत्र से जीतकर विधानसभा तक पहुंचने वाले प्रतिनिधि बीते 10 साल में कभी हाल तक जानने नहीं पहुंचे. जब यहां के लोगों ने बीते वर्ष इसकी निर्माण की मांग को लेकर जीटी रोड जाम किया था, तो यहां के दर्जनों लोगों पर मुकदमा ठोक दिया गया था. जिसका खामियाजा लोग आज तक भुगत रहे हैं.

सदन में नहीं उठाई आवाज
2015 के बिहार विधानसभा के चुनाव में जदयू-राजद गठबंधन से पत्थर तोड़ने वाली विधायिका दिवंगत भागवती देवी की बेटी समता देवी को विधायक बनाया गया था. बाद में वह गठबंधन टूटने के कारण वह विपक्ष में चली गई. लेकिन उन्होंने भी इस सड़क के उद्धार के लिए कभी सदन में कोई आवाज नहीं उठाई. जिसका परिणाम है कि उक्त निवर्तमान विधायक समता देवी से भी लोग खफा हैं और उसे भी सबक सिखाने के मूड में हैं.

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