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गया: तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग को लेकर अनशन पर ग्रामीण

गया में तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग को लेकर ग्रामीण रामेश्वर मिश्र अनशन पर बैठ गए. जिसके बाद अंचल अधिकारी ने जूस पिला कर उनका अनशन समाप्त कराया.

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अनशन पर बैठ रामेश्वर मिश्र

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Published : Jun 23, 2020, 8:51 PM IST

गया: जिले के टिकारी प्रखंड के लाव स्थित प्राचीन तालाब और पिंड को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर गांव के ही ग्रामीण रामेश्वर मिश्र मंगलवार को अनशन पर बैठ गये. अनुमंडल कार्यालय परिसर में अनशन पर बैठे ग्रामीण मिश्र ने स्थानीय प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाया है. हालांकि अंचल अधिकारी के लिखित आश्वासन पर मंगलवार की देर शाम उन्होंने अनशन समाप्त कर दिया.

अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग
रामेश्वर मिश्र गांव स्थित प्राचीन तालाब और पिंड को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर बीते आठ वर्षों से लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है. उन्होंने अतिक्रमण मुक्त नहीं होने का ठीकरा सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन पर फोड़ा है. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि बीते आठ वर्षों से लगातार उक्त जलस्त्रोत और पिंड को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग कर रहा हूं. प्रखंड से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पत्राचार कर चुका हूं. लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

परिसर में आमरण अनशन
स्थानीय प्रशासन के उदासीन रवैया से नाराज होकर रामेश्वर मिश्र मंगलवार को अनुमंडल कार्यालय परिसर में आमरण अनशन पर बैठ गये. तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर उन्होंने तीन बार आत्मदाह का भी निर्णय लिया था. लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर से आश्वासन देकर उन्हें आत्मदाह से रोका गया था. उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से न्यायालय में विचारधीन होने के नाते स्थानीय प्रशासन अपना हाथ खींच रही है, जो उचित नहीं है.

अतिक्रमणकारियों ने किया कब्जा
लाव स्थित अतिप्राचीन तालाब 6 एकड़ 15 डिसमिल में फैला है. साथ ही तालाब से सटा पिंड भी 3 एकड़ में फैला है. जिसके अधिकांश हिस्से पर अतिक्रमणकारियों ने पक्का निर्माण कर कब्जा जमा रखा है. सूचना मिलने के बाद टिकारी अंचल अधिकारी प्रकाश राम और प्रखंड विकास पदाधिकारी वेद प्रकाश अनशन स्थल पर पहुंचे. वार्ता के दौरान अधिकारियों ने न्यायालय की ओर से अगले आदेश तक स्थिति यथावत बनाये रखने का हवाला दिया. जिसपर रामेश्वर मिश्र ने उक्त आदेश की वैधता 6 महीने तक ही होने की बात कही. अंततः अंचल अधिकारी श्रीराम ने उक्त आदेश को सरकारी वकील से सलाह कर कार्रवाई करने का लिखित आश्वासन दिया. जिसके बाद उन्हें जूस पिला कर अनशन तुड़वाया गया.

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