गया:आज के दौर में हमारे बीच से पक्षी धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं. गैर-सरकारी संगठनों और पक्षी संरक्षण संगठनों के प्रयासों के अलावा कुछ लोगों ने स्वेच्छा से पक्षियों की घटती संख्या को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. उन्हीं खास लोगों में से एक हैं बिहार के गया के रंजन कुमार (Ranjan Kumar From Gaya).पक्षियों को संरक्षित करने के इनके प्रयास की आज सभी प्रशंसा करते नहीं थक रहे. गया के बागेश्वरी मोहल्ला के रहने वाले रंजन कुमार ने वर्ष 2016 में पक्षियों को बचाने के लिए खुला पिंजरा अभियान ( Gaya Open Cage Campaign) शुरू किया था. क्या है इस अभियान की खासियत आगे पढ़ें..
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गया में खुला पिंजरा अभियान: सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर क्या है खुला पिंजरा अभियान (Gaya khula pinjra abhiyan). दरअसल रंजन कुमार ने रामशिला पहाड़ी ( bird houses in Ramshila Hill gaya ) पर पक्षियों का आशियाना बनाया है. ऊंचे पेड़ों पर पक्षियों के रहने खाने पीने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए रंजन रोज ढाई सौ की ऊंचाई वाले रामशिला पहाड़ को चढ़ते हैं. हर दिन रंजन पानी और दाना लेकर जाते हैं. रामशिला पहाड़ी में हर ओर आपको पक्षियों का आशियाना और उसमें चहकते पक्षी दिख जाएंगे. पिछले सात साल से रंजन ने ये मुहिम चला रखी है जो अब रंग लाने लगी है. इन पक्षियों की चहचहाहट से पूरा रामशिला पर्वत गुलजार हो गया है. यहां लगभग 50 से 60 घोंसले हैं. रंजन की इस मुहिम में उन्हें उनके पूरे परिवार का साथ भी मिल रहा है.
सबसे पहले अपने घर से शुरू किया अभियान: आज कई पक्षी विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे पक्षियों को बचाने के लिए 'खुला पिंजरा' का अभियान कारगर साबित हो रहा है. इस अभियान के तहत पक्षियों को बचाने और पर्यावरण को संतुलित करने के लिए पिछले 6 सालों से रंजन लगे हुए हैं. रंजन ने सबसे पहले इस अभियान की शुरूआत अपने घर से की थी. लेकिन जगह कम पड़ने के कारण रामशिला पहाड़ का रूख किया. आज हमारे बीच से गौरैया और कौवे विलुप्ति के कगार पर हैं, तो ऐसे में यह एक बड़ी सराहनीय पहल है.
इस मुहिम से जुड़े कई लोग:रंजन ने पहले खुद इस अभियान की शुरूआत की. फिर रंजन के इस मुहिम से उनका पूरा परिवार जुड़ गया और अब तो आलम ये है कि धीरे-धीरे करके कई आम लोग भी खुला पिंजरा अभियान का हिस्सा बन चुके हैं. इस अभियान के तहत पेड़ों पर छोटे मिट्टी और टीन के बर्तन लगाने शुरू किए गए थे. जिसमें पानी और दाना की व्यवस्था की जाती थी. शुरू में यह अभियान रंजन ने अकेले शुरू किया था. कुछ समय बाद इससे पूरा मोहल्ला जुड़ गया. सभी ने पेड़ों पर पक्षियों के लिए दाना पानी के लिए बर्तन लगाने शुरू कर दिए. हालांकि शुरूआती दौर में इसे रंजन की सनक समझा जाता था. लेकिन धीरे धीरे पक्षियों के संरक्षण के प्रति लोग जागरुक हुए.
पक्षियों के लिए वरदान बना अभियान: गर्मी में अक्सर पक्षियों को पानी की कमी होती है इसके कारण कई पक्षियों की मौत भी हो जाती है. ऐसे में रंजन की पहल से पक्षियों को राहत मिलने लगी और काफी संख्या में पक्षी मिट्टी व टीन के बने बर्तनों के पास आकर दाना पानी लेने लगे. लोगों को इस नेक काम का एहसास हुआ. इसके बाद रंजन का परिवार इस मुहिम का हिस्सा बन गया. फिर मोहल्लेवासी और अब जिले के कई इलाके से भी लोग इस नेक काम में अपना सहयोग दे रहे हैं.
रामशिला पहाड़ी में अभियान: युवक रंजन कुमार ने अब अपने अभियान को पहाड़ों पर भी शुरू कर दिया है. रामशिला पहाड़ पर 50 से 60 खुला पिंंजरा लगा दिया है, जिसे टीन आदि से बनाया गया है. पहले पक्षी पानी की आस में इधर-उधर भटकते थे. लेकिन अब देखा जा रहा है कि पक्षियों की भारी संख्या पिंजरे पर बैठने आती है और यहां पानी और दाना चुगते हैं.
250 फीट की ऊंचाई पर है रामशिला पहाड़: रंजन कुमार बताते हैं कि वह अपने भाई निरंजन कुमार और मनोरंजन कुमार के साथ पर्यावरण को संतुलित करने के लिए पक्षियों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. उसने पक्षी बचाओ अभियान को मजबूती देने के लिए रामशिला पहाड़ पर खुला पिंजरा का निर्माण कराया है, जिसकी संख्या 50 से अधिक है. रंजन बताते हैं कि इंसान तो पानी पी लेते हैं और भोजन कर लेते हैं, किंतु पक्षी को भटकना न पड़े, इसके लिए उसके द्वारा इस तरह की पहल की गई है.