गया : यह कोई राष्ट्रीयकृत या निजी बैंक नहीं, बल्कि 'बच्चों का बैंक' (students opened children bank in gaya) हैं फिर भी इसकी कार्यप्रणाली पूरी तरह बैंक की तरह ही है. यहां बच्चे अभिभावकों से मिले जेब खर्च को बचाकर कुछ रकम जमा करते हैं और उसी से पाठ्य सामग्री मसलन, पेंसिल, रबर, कटर, कॉपी, पेन और पाठ्य पुस्तकें खरीदते हैं. इतना ही नहीं, जरूरत पर पैसे नहीं रहते तो इसी बैंक से बिना ब्याज के लोन भी लेते हैं. इसका संचालन बच्चे ही करते हैं. प्रधानाध्यापक ने इस बैंक की पहल की जिससे अब बच्चे भी खूब लाभान्वित हो रहे हैं और अभिभावक भी खुश हैं.
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गया के इस स्कूल के छात्र चलाते हैं 'चिल्ड्रेन बैंक' :गया जिला के बांके बाजार प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित नवाडीह मध्य विद्यालय में बच्चों के लिए बैंक खोला गया है. इस बैंक में सिर्फ बच्चों के ही खाते खोले जाते हैं और छात्रों के पठन-पाठन में उपयोग आने वाली वस्तुओं के लिए ऋण दिया जाता है. इस बैंक के न केवल छात्र ग्राहक हैं, बल्कि इस बैंक के प्रबंधक और खजांची भी स्कूल के छात्र ही हैं. स्कूल के ही भवन में चलने वाले 'चिल्ड्रेन बैंक ऑफ नावाडीह' के नाम से संचालित बैंक में कॉपी, पेन, पेंसिल, रबड़ और पुस्तक के लिए गरीब छात्रों को ऋण दिया जाता है.
''इस साल अगस्त से यह बैंक खोला गया है. एक से आठ वर्ग वाले इस स्कूल में 420 बच्चे हैं. फिलहाल 70 बच्चों का खाता इस बैंक में खुल गया है. ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस स्कूल में अधिकांश बच्चे आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. ऐसे में कई बच्चों के सामने कुछ खरीदने में परेशानी आती थी. पैसा रहने के बाद उन्हें दूर बाजार जाना पड़ता था. इस बैंक के खोलने का मकसद बच्चों को बचत करने की आदत डालना भी है.'' - जितेंद्र कुमार, प्रधानाध्यापक
चिल्ड्रेन बैंक में काम काज संभालता छात्र लोन समेत मौजूद हैं ये सुविधाएं :प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार ने बताया कि अभिभावकों से मिले जेब खर्च के पैसे को बच्चे इधर-उधर के कामों में खर्च करने के बजाय चिल्ड्रेन बैंक में जमा कर देते हैं. इसके बाद वह अपनी जरूरतों के हिसाब से पैसे की निकासी कर अपना सामान खरीदते हैं. उन्होंने बताया कि चिल्ड्रेन बैंक से बच्चों को 1 हजार रुपये तक का ऋण दिया जाता है.