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मोक्षदायिनी फल्गु नदी पर अस्तित्व बचाने का मंडरा रहा खतरा, चुनावी वादे नहीं हो रहे पूरे

अपने पितरों का तर्पण अर्पण करने पूरे देश और विदेश से लोग आते हैं. दुर्भाग्य है कि उन्हें तर्पण करने के लिए फल्गु नदी में जल तक नहीं मिलता.

फल्गु नदी.

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Published : Mar 27, 2019, 2:59 PM IST

गया : मोक्ष की धरती पर मोक्षदायिनी फल्गु, सुखी व कीचड़ से लथपथ अपने धार्मिक अस्तित्व को 20 से 25 फिट नीचे एक गड्डे में बचा रही है. त्रेतायुग में मां सीता ने सतत सलिला फल्गु को श्रापित किया था. वहीं कलयुग में अततः सलिला को पुनः सतत सलिला बनाने के लिए नेताओं ने हजारों घोषणाएं की. पर, सच्चाई यह है कि घोषणा के अंश भी जमीन पर नहीं उतरा. गया की जनता सवाल पूछ रही है कि मोक्षदायिनी फल्गु कब बनेगी जीवनदायिनी?

युगों-युगों से बहने वाली फल्गु की दुर्दशा, देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं को उदास करती है. धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं का सच देखने के लिए नदी में अपने हाथों से एक से दो फिट खोदते हैं, फिर भी पानी नहीं निकलता है. उनके चेहरे पर हजार सवाल रहते हैं. मां सीता से श्रापित होने से नदी का पानी जमीन के नीचे से बहता था, अब वो भी नहीं दिखता.

संवाददाता सुजीत पांडे की रिपोर्ट.

20 से 25 फिट तक गड्ढा खोदने पर पानी निकलता
मोक्षदायिनी फल्गु नदी सिर्फ गया की जनता के आस्था का केंद्र नहीं है. पूरे देश और विदेश में सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के लिए यह नदी महत्त्व रखता है. अपने पितरों का तर्पण अर्पण करने पूरे देश और विदेश से लोग आते हैं. दुर्भाग्य है कि उन्हें तर्पण करने के लिए नदी में जल तक नहीं मिलता. कुछ लोग 20 से 25 फिट तक गड्ढा खोदकर पानी निकालते हैं. 5-10 रुपये लेकर पिंडदानी को तर्पण करने के लिए पानी देते हैं.

चुनावी एजेंडे में फल्गु नदी
विडंबना तो यह है कि गया की धरती पर कितने नेताओं ने आकर अपने पितरों का तर्पण अर्पण भी किया है. इसकी दुर्दशा से भी अवगत हुए. बावजूद इसके कुछ नहीं किया. स्थानीय नेता चुनावी एजेंडे में फल्गु नदी को लेकर कई वादे और घोषणाएं करते हैं.

सूखी पड़ी फल्गु नदी.

न्यायालय के आदेश के बावजूद नहीं हुई पहल
फल्गु नदी सिर्फ पौराणिक आस्थाभर नहीं है. नदी का जल स्तर इतना नीचे जा चुका है कि लोगों के सामने पेयजल का संकट भी उत्पन्न हो गया है. सड़क से न्यायालय तक फल्गु नदी को लेकर आवाज उठाने वाले समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने बताया कि अततः सलिला फल्गु को सतत: सलिला बनाने के लिए मेरे द्वारा सड़क से लेकर न्यायालय तक आवाज उठाया गया है. न्यायालय का आदेश भी आ गया है, फिर भी उस पर पहल नहीं हुई.

पितरों के लिए कर्मकांड करते लोग.

सिकुड़ती जा रही है फल्गु नदी
अतिक्रमण से फल्गु नदी सिकुड़ती जा रही है. शहर का कूड़ा-कचड़ा निगम द्वारा फल्गु में डंप किया जा रहा है. नाली का पानी फल्गु में बहता है, जिससे कीचड़ से लथपथ फल्गु हो जाती. नेताओं के घोषणा बहुत हुए, आज तक कुछ नहीं हुआ.

सूखी पड़ी फल्गु नदी.

वर्षों से है वियर बांध बनाने की मांग
लगभग दो दशक से फल्गु नदी की स्थिति बदतर हो गई है यहां वियर बांध बनाने की मांग वर्षों से हो रही है. इस संबंध में कई बार घोषणाएं भी की गई है, सर्वे हो चुका है पर जमीनी कार्य भी शुरू नहीं हो सका हैं.

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