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गया: दलित बच्चों में जगा रहे पढ़ाई की ललक, 200 बच्चों को देते हैं शिक्षा - सामाजिक कार्यकर्ता दलित बच्चों में जगा रहे शिक्षा की ललक

सामाजिक कार्यकर्ता रामजी मांझी ने बताया कि ज्ञान की भूमि बोधगया के बकरौर गांव का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. हम चाहते हैं कि बच्चे देशी और विदेशी भाषाओं में शिक्षा का प्रयोग करें. उन्होंने बताया कि वह संगीत, कम्प्यूटर और अन्य सुविधाओं से बच्चों को अवगत करवाते रहतें हैं. जिसमें 200 बच्चे शामिल होते हैं.

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200 बच्चों को देते हैं शिक्षा

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Published : Feb 15, 2020, 9:56 PM IST

गया: जिले के बोधगया प्रखण्ड के बकरौर गांव में एक सामाजिक कार्यकर्ता रामजी मांझी अपने बलबूते दलित बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. वे गरीब बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरुक कर रहे हैं. उनका कहना है कि देशी विदेशी भाषाओं को शिक्षा में भी प्रयोग करें. उन्होंने कहा कि बच्चें शिक्षित होगें तो अपने अधिकार के हक के लिए लड़ सकते हैं.

गरीब परिवार के बच्चों को कर रहे शिक्षित
बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समय में चरवाहा स्कूल का निर्माण किया गया था. जिसमें गांव के दलित वर्ग और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा दी जाती, लेकिन कुछ सालों बाद ही लालू यादव की सरकार बदलते ही स्कूल चलना बंद हो गया. इसी स्कूल को वर्तमान में सामाजिक कार्यकर्ता रामजी मांझी गांव चला रहे हैं. जो कि महादलित बच्चों में शिक्षा की ललख जगा रहे हैं. गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

स्कूल में 200 बच्चे होते हैं शामिल
सामाजिक कार्यकर्ता रामजी मांझी ने बताया कि ज्ञान की भूमि बोधगया के बकरौर गांव का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. हम चाहते हैं कि बच्चे देशी विदेशी भाषाओं में शिक्षा का प्रयोग करें. साथ ही बताया कि वह संगीत, कम्प्यूटर और अन्य सुविधाओं से बच्चों को अवगत करवाते रहतें हैं. जिसमें 200 बच्चे शामिल होते हैं. उन्होंने कहा कि महादलित परिवार के जो बच्चे शिक्षा से वंचित है, वह शिक्षित हो जाएंगे तो अपने अधिकार के लिए लड़ सकेंगे.

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