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गया: ह्रदय योजना ने बदली सीताकुंड की तस्वीर, श्रद्धालुओं के लिए बना सेल्फी पॉइंट

मोक्ष की नगरी गया स्थित सीताकुंड का स्वरूप बदल गया है. ह्रदय योजना के तहत सीताकुंड में पेंटिग की गई है. आर्ट कॉलेज के विद्यार्थियों के बनाये गए पेंटिंग तीर्थ यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं.

गया का सीताकुंड

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Published : Sep 5, 2019, 1:25 PM IST

गया: मोक्ष की नगरी में स्थित सीताकुंड का नजारा अब बदला-बदला सा हो गया है. पिंडदान के लिए मशहूर सीताकुंड तीर्थ यात्रियों को आकर्षित कर रहा है. केंद्र सरकार की हृदय योजना के तहत सीताकुंड की दीवारों पर पेंटिंग करायी गई है. सीताकुंड लोगों के लिए सेल्फी पॉइंट बनता जा रहा है.

सीताकुंड की दीवारों पर की गई पेंटिंग

गया में मोक्ष की नगरी का नाम लेते ही हैंड्स ऑफ दशरथ घटनाक्रम का जिक्र होता है. दरअसल यह घटना त्रेतायुग में हुई थी. इसकी व्याख्या करने के लिए सीताकुंड का विकास किया गया है. ह्रदय योजना के तहत पेंटिंग के माध्यम से सीताकुंड की दीवारों पर श्रीराम-सीता के गया आने की कहानी बतायी गई है. इन दीवारों पर पेंटिग पटना आर्ट कॉलेज के विद्यार्थियों ने की है.

अपने मोबाइल में तस्वीर उतारते पर्यटक

43 वेदियां पर हो रहा पिंडदान
दरअसल, पिंडदान के लिए वर्षो पहले 300 से ज्यादा वेदियां थी. अब मात्र 43 वेदियां ही बची हैं, जहां पिंडदान किया जाता है. उसी में से एक पिंड वेदी है सीताकुंड. यहां बालू का पिंड दिया जाता है. यह पिंड वेदी पिछले वर्ष तक बदहाली का आंसू रो रहा था. लेकिन आज इसकी खुबसूरती देखते ही बनती है. फल्गू नदी में पानी अनवरत प्रवाह होने पर इसकी सुंदरता में चार चांद लग जायेगा.

पुरोहित सरणजीत पांडेय

5.99 करोड़ में हुआ सौंदर्यीकरण
सीताकुंड की दीवारें राम, लक्ष्मण, सीता के 12 वर्षो के वनवास और गया आने की कहानी बतायी है. सीताकुंड की दीवारों पर तीन दिन में पटना आर्ट कॉलेज के छात्रों ने पेटिंग बनाई है. सकारात्मक परिणाम मिलने पर गया नगर निगम अन्य पिंडवेदी की दीवारों पर पेटिंग बनवायेगी. सीताकुंड के सौंदर्यीकरण में 5.99 करोड़ रुपये की लागत आयी है. दरअसल, सीताकुंड में प्रयोग के तौर पर नगर निगम की तरफ से पेंटिंग बनवाई गई थी.

स्थानीय पंडित एमपी बाबा

यहां सीता जी ने बालू का दिया था पिंडदान
सीताकुंड के पुरोहित सरणजीत पांडेय ने बताया यह स्थान त्रेतायुग से प्रसिद्ध है. यहां राम, लक्ष्मण और सीता राजा दशरथ का पिंडदान करने आये थे. भगवान श्री राम और लक्ष्मण पिंडदान का वस्तु लाने गए. इसी बीच आकाशवाणी होती है और राजा दशरथ का हाथ निकलता है. आकाशवाणी में कहा जाता है कि पिंडदान करने का समय निकल रहा है. जल्दी से पिंड दे दो. सीताजी बालू का पिंडदान देती हैं. तब से हर पिंडदान करने वाला बालू का पिंडदान देता है. पुरोहित ने कहा कि इन पेंटिंग्स से यहां का नजारा बिल्कुल ही बदल गया है. श्रद्धालुओं को चित्र के माध्यम से जानकारी देने में आसानी हो रही है.

ईटीवी भारत संवाददता की सीताकुंड पर स्पेशल रिपोर्ट

चार चांद लगा रहा पेंटिंग
वहीं, एमपी बाबा ने बताया कि सीताकुंड अब रमणीय स्थान बन गया है. दीवारों पर बनाए गए चित्र चार चांद लगा रहे हैं. श्रद्धालुओं के लिए यह सेल्फी पॉइंट बन गया है. पिंडदानी यहां आकर एक-एक चित्र का मुआयना करते हैं. मोबाइल में फोटो लेते हैं. हमलोग से यात्री इसके बारे में जानकारी लेते हैं. सरकार के प्रयास से देश-विदेश के श्रद्धालुओं में गया का छवि बेहतर बन रहा है.

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