गया: बिहार की धार्मीक नगर गया के लोग नाले के पानी ( sewer water ) से परेशान हैं. यहां के लोग 'जल कैदी' बन कर रह गए हैं. घर से बाहर निकलने वाला दरवाज बंद हो गया है. घर से निकलने के लिए लोग खिड़की का सहारा ले रहे हैं, वो भी सीढ़ी के सहारे.
दरअसल, जिले के माड़नपुर इलाके में नाले का पानी सैकड़ों घर में घुस गया (Drain Water Entered In House) है. जिससे लोगों के अंदर दहशत का माहौल है. यहां बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. बरसात के दिनों में कई मोहल्ले आज भी डूब जाते हैं. इन मोहल्लों से ऐसी तस्वीर देखने को मिलती है, जिस पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है.
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एक ऐसी ही तस्वीर दिव्यांग युवक की है जो बारिश के पानी से जलजमाव होने की वजह से पिछले दो माह से घर में कैद हैं. यहां तक कि उनके घर का मुख्य दरवाजा नाले के पानी में डूब चुका है. वो जरूरी सामान लाने के लिए खिड़कियों से आवाजाही करते हैं. घर की खिड़की में बांस की सिढ़ी लगाकर रास्ता बनाना पड़ा है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
'पिछले पांच सालों से हर साल चार से पांच माह के लिए घर में कैद रहते हैं. थोड़ी सी बारिश होने पर घर के बाहर नदी बन जाता है. जिसके बाद घर का मुख्य दरवाजा धीरे-धीरे पानी में डूब जाता है. घर से बाहर निकलने के लिए खिड़की का सहारा लेते हैं. मैं पढ़ाई करता हूं. मेरा कॉलेज और कोचिंग भी छूट जाता है.'-कृपानन्द पाण्डेय, स्थानीय
वहीं दूसरी ओर एक एयरफोर्स का जवान छुट्टियां बिताने अपने घर आया हुआ है. लेकिन घर की हर तरफ जलजमाव से काफी परेशान है. एयरफोर्स सौरभ कुमार का कहना है कि वे जब घर आते हैं मॉनसून के समय, तो ऐसे ही हालात देखने को मिलते हैं.
'मैं देश की सेवा के लिए हमेशा डटा रहता हूं. लेकिन जब घर आता हूं, इस तरह के हालात देखता हूं तो मुझे काफी दु:ख पहुंचता है. कुछ दिनों पहले एक दिन अधिक बारिश हुई और इलाके में बाढ़ आ गई. हम लोग 4 ट्रैक्टर मिट्टी गिरवाए जिसके बाद आने-जाने की सुविधा हुई. घर के बाहर गंदगी देखकर लगता है कि कोई गंभीर बीमारी न हो जाए. मैं देश की रक्षा के लिए लगा हूं, लेकिन मेरे लिए कोई कुछ करने के लिए तैयार ही नहीं है.'-सौरभ कुमार, एयरफोर्सकर्मी
आंगनबाड़ी सेविका शोभा सिन्हा का भी घर इसी मोहल्ले में है. वे कहती हैं कि सभी लोग वोट देते हैं, इस उम्मीद के साथ कि अगला आएगा तो इस नरक से सभी को उबार देगा. लेकिन किसी ने नहीं सुनी. हर साल अपना पेट काटकर सड़क को भरवाने के लिए राशि देना पड़ता है. हम लोग वोट, टैक्स सब देते हैं, लेकिन फिर भी सड़क निर्माण के लिए खुद ही राशि देना पड़ता है.
गौरतलब है कि साल 2017 में बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहुंचने के बाद अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया गया था. लेकिन बाढ़ का पानी निकलते ही सारे अभियान को बन्द कर दिया गया. लगभग 3 साल बीतने के बाद मनसरवा नाला फिर से अतिक्रमण का शिकार हो गया है. इस नाले को लेकर ना बिहार सरकार ध्यान दे रही है और ना ही गया नगर निगम. ऐसे में मनसरवा नाला के पास स्थित मोहल्ला वासियों के बीच मॉनसून के दस्तक देते ही भय का माहौल बन जाता है.
'मनसरवा नाला वाले क्षेत्र और माड़नपुर क्षेत्र में जलजमाव की समस्या बनी हुई है. मनसरवा नाले के निर्माण के लिए चौड़ीकरण की जरूरत है. लेकिन अतिक्रमण बहुत ज्यादा है. माड़नपुर मोहल्ले में जलजमाव से निजात तभी मिलेगी, जब एनएचएआई नाली बनाने के लिए एनओसी देगी. एनओसी मिलते ही सभी नाली को एक में जोड़कर मनसरवा नाला में जोड़ दिया जाएगा. जिससे जलजमाव की स्थिति से निजात मिल सकेगा. लेकिन किसी भी समस्या के समाधान में जनता का साथ भी जरूरी है.' -मोहन श्रीवास्तव, डिप्टी मेयर, नगर निगम