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गया जंक्शन के पास कई सालों नहीं बन सका रेल ओवरब्रिज, साल 2021 में अबतक 50 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत

गया जंक्शन के पास दोनों छोर कई सालों से प्रस्तावित होने के बावजूद अबतक नहीं रेल ओवरब्रिज नहीं बन सका है. जिससे रेल हादसों में अबतक इस साल 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. लोग जान जोखिम में डालकर रेल ट्रैक पार कर आवाजाही करने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर...

गया में साल 2021 में रेल हादसा में 50 से अधिक हुई मौतें
गया में साल 2021 में रेल हादसा में 50 से अधिक हुई मौतें

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Published : Sep 14, 2021, 1:37 AM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) जिले में रेल हादसों से मौत की घटनाएं में इन दिनों काफी वृद्धि हुई. जिले में इस साल अबतक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. अगर बात करें गया जक्शन (Junction) के दोनों छोर तरफ सबसे ज्यादा रेल से कटकर मौत हुई है. इसका मुख्य वजह दोनों छोर पर पुल (Rail Over Bridge) नहीं बनने के कारण लोग जान हथेली पर रखकर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. बता दें कि गया जंक्शन के गया-हावड़ा रूट पर बागेश्वरी गुमटी और गया-डीडीयू रूट पर बाटा मोड़ के पास सालों से ओवरब्रिज प्रस्तावित है. लेकिन आज तक इन दोनों जगहों पर पुल नहीं बना है.

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दरअसल, गया जिले में रेल हादसों में मरने वालों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. जिले के रेल थाना में जुलाई माह तक दर्ज आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में 45 मौतें हुई. वहीं साल 2021 में 47 मौतें हुई हैं. अगर अभी तक की बात करें तो 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. रेल प्रशासन का दावा है कि रेल हादसा को रोकने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन मरने की संख्या में कमी नहीं हो रही है. गया जक्शन के गया हावड़ा रूट पर बागेश्वरी गुमटी गया शहर में एंट्री का प्वाइंट है. लेकिन उस रेलवे गुमटी पर आज तक ओवरब्रिज नहीं बन सका है. जिस कारण आए दिन लोग ट्रेन के चपेट में आते है.

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बता दें कि गया जिल में अलग-अलग रेल हादसे में साल 2016 में 106 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं साल 2017 में 117 लोगों को ट्रेन हादसे के कारण मौत हो गई. वहीं साल 2018 में 135, साल 2019 में 115, साल 2020 में 45, साल 2021 के जुलाई तक 47 मौतें हुई हैं. वहीं 4 दिनों दिन पहले दो बाइक पटना हटिया एक्सप्रेस टकराया गई थी. जिसमें बाइक सवार बाल-बाल बच गया था. लेकिन इस तरह के हादसे बागेश्वरी गुमटी पर अक्सर होते रहते हैं.

वहीं गया डीडीयू रूट के बाटा मोड़ से डेल्हा जाने के लिए लोग 7 रेलवे ट्रैक पार करके जाते हैं. इस दौरान भी कई हादसा हुए हैं. इस स्थान पर ओवरब्रिज प्रस्तावित है. लेकिन आज तक पुल नहीं बन सका. डेल्हा निवासी अजय यादव ने बताया कि बाटा मोड़ से डेल्हा आने के लिए एक मिनट का रास्ता है. अगर पुल से जायेंगे तो एक से दो किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है. पहले से ही लोग इस रास्ते का उपयोग कर रहे है. ऐसे में रेल प्रशासन और सरकार को यहां कम से कम फुटओवर ब्रिज बनाना चाहिए. 30 सालों से भाजपा नेता प्रेम कुमार इस क्षेत्र से विधायक हैं. लेकिन उन्होंने ने भी पुल को लेकर आज तक को पहल नहीं की.

वहीं डेल्हा विकास समिति के सचिव राम जगन गिरी ने बताया कि पिछले कई सालों से बाटा मोड़ गुमटी नम्बर एक पर पुल बनाने का मांग कर रहा हूं. पुल के संबंध रेल विभाग से पत्र भी आया है कि पुल बनना प्रस्तावित है. लेकिन आज तक पुल नही बन सका. डेल्हा में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षण संस्थान नहीं है. छात्राएं जान जोखिम में डालकर हर दिन रेलवे ट्रैक पार कर जाती हैं. इसमें कई लोग हादसे का शिकार हो चुके हैं. इस स्थान से टिकारी, कोंच से लेकर डेल्हा तक के लोग ट्रैक पार कर जाते हैं. जब तक पुल नहीं बनेगा तब तक पत्राचार और संघर्ष करता रहूंगा.

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