गया : शहर में दीपावली के समय राजस्थान के कलाकार लकड़ी, रुई, गुदरी कपड़े और पुआल से हाथी, घोड़ा और हिरण का खिलौना बना रहे हैं. गया के सिकड़िया मोड़ के पास तंबू लगाकर इनका परिवार रहता है. परिवार का हर शख्स यही काम करता है.
कठपुतली से लेकर हाथी-घोड़े तक, राजस्थान के कलाकार यूं कर रहे रोजगार - gaya
एक समय था, जब किसी शुभ काम और मेले में कठपुतली का खेल दिखाया जाता था. डुगडुगी बजती थी.. परदा हटता था और सामने से कठपुतली आकर स्वागत करती थी. लकड़ी से बनी कठपुतली जब अपना खेल दिखाती लोग घण्टो जमे रहते थे.
![कठपुतली से लेकर हाथी-घोड़े तक, राजस्थान के कलाकार यूं कर रहे रोजगार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/images/768-512-2516530-thumbnail-3x2-khilauna.jpg)
राजस्थान के मकराना से आए ये लोग पहले कठपुतली बनाया करते थे. कठपुतली का खेल विलुप्तहोने सेरोजगार पर संकट आ गया. इसके बाद इन्होंने कठपुतली जैसा ही खिलौना बनाना शुरू कर दिया. खिलौना बनाना आसान था. परंतु इसके खरीददार कम थे. तब इन कलाकारों ने यूपी, बिहार और बंगाल के शहरों में जाकर खिलौना बेचना शुरू किया.
इसी तरह ये लोग गया शहर के टावर चौक, स्टेशन रोड पर अपना खिलौना बेचते हैं. कलाकारों ने बताया कि दीपावली से होली तक ये लोग यहां रहकर खिलौने बेचते हैं. इसके बाद फिर ये लोग अपने घर चले जाते हैं. साल में ये तीन या चार महीने ही घर से बाहर रहकर खिलौना बनाकर बेचते हैं.