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45 डिग्री गर्मी में रोजाना 300 KG मशरूम का उत्पादन, DM ने देखकर कहा- वाह क्या बात है - बटन मशरूम की खेती

गया (Gaya) के राजेश सिंह 45 डिग्री की गर्मी में हर दिन 300 किलो बटन मशरूम (Mushroom) का उत्पादन कर रहे हैं. उनके इस प्रयोग को देखने के लिए डीएम से लेकर सांसद तक पहुंच रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Sep 1, 2021, 11:04 PM IST

गया:बिहार का सबसे अधिक गर्म जिला गया (Gaya) है. गया जिले में ठंड में उपजने वाले बटन मशरूम (Mushroom) को राजेश सिंह अपनी मेहनत और जुनून से 45 डिग्री की गर्मी में रोजाना औसतन 300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. राजेश सिंह ने एक बड़ी कंपनी की नौकरी को छोड़कर मशरूम के प्लांट की शुरुआत की है. उन्होंने हैदराबाद से एग्रीकल्चर स्नातक, बंगाल से एग्रीकल्चर में मास्टर और रांची में एग्री बिजनेस मैनेजमेंट की परीक्षा में टॉप किया है.

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दरअसल, बिहार का सबसे गर्म जिले में बटन मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. गया जिले के गुरुआ प्रखण्ड के राजन पंचायत के इटहरी गांव में राजेश सिंह एक एकड़ में मशरूम का व्यापक तौर पर उत्पादन कर रहे हैं. राजेश सिंह मशरूम का उत्पादन कृत्रिम रूप से कर रहे हैं. जिसमें वो एसी और मशरूम अनुकूल रूम का उपयोग कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

मशरूम की खेती कर रहे राजेश सिंह ने बताया कि मैं एक कंपनी के लिए इस जमीन को देखने आया था. जमीन मुझे काफी पसंद आयी थी, लेकिन कंपनी को नहीं आयी. जिसके बाद मैंने इस जमीन को लेकर जैविक खाद बनाना शुरू किया. जिसके बाद मैंने साल 2020 से बिहार में सबसे ज्यादा बिकने वाले बटन मशरूम की खेती शुरू की. ऐसे तो बटन मशरूम ठंड के मौसम होता है, लेकिन मैंने कृत्रिम रूप से सालों से बटन मशरूम का उत्पादन कर रहा हूं. हर दिन 300 किलो मशरूम का उत्पादन हो रहा है और गया के बाजारों में बिक रहा है.

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''मैंने मशरूम प्लांट वेस्ट टू वेल्थ के तर्ज पर बनाया है. जहां मैंने पराली, पॉल्ट्री फॉर्म का बीट, नारियल की छाल और बीज का उपयोग कर मशरूम का उत्पादन कर रहा हूं. 35 दिनों के बाद बटन मशरूम निकलने लगता है. लगभग 60 दिनों में सबसे तेजी से बनने वाला जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है. जिसका खेतों में उपयोग किया जा रहा है.''- राजेश सिंह, निदेशक, बुद्धा मशरूम प्लांट

उन्होंने कहा कि मैं अकेला इस बड़े काम को नहीं कर सकता हूं. जब बटन मशरूम प्राकृतिक रूप से ठंड के मौसम में होता है. उस वक्त बड़े पैमाने पर महिलाओं को जोड़कर उनके घर में 100 और 200 बैग का मशरूम यूनिट लगाया जाता है. इस साल 500 से अधिक महिलाओं को जोड़कर हर दिन एक हजार किलो मशरूम का उत्पादन करूंगा. मैं लोगों को जोड़ रहा हूं आगे मेरा प्लान है कि मैं मशरूम से आचार, पाउडर और आटा बनाने का काम शुरू करूंगा. अभी तो प्रत्यक्ष रूप से दस लोग और अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला है.

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उन्होंने बताया कि बटन मशरूम की खेती करने के लिए 16 डिग्री का तापमान चाहिए. गया जैसे गर्म जगह पर इसका प्रयोग करना घाटे का सौदा था. मैंने शुरुआत में 500 बैग के साथ डेमो प्रोजेक्ट शुरू किया. आम लोगों को दिखाया कि गया में भी साल भर मशरूम हो सकती है. मैंने वर्तमान में पांच हजार वर्ग फीट एरिया में 6 वातानुकूलित कमरा बनाए हैं. हर कमरे 10 टन का एसी लगा हुआ है, जिससे 16 डिग्री तापमान को मेंटेन करके रखा जाता है. एक रूम में 1800 बैग रखे गए हैं.

मेरे प्लांट से हर दिन औसतन 300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन हो जाता है. अधिकांश मशरूम गया में बिक जाते हैं. इसके अलावा डिहरी ऑन सोन, पटना और रांची में भेजा जा रहा है. आगे जाकर केन पैक मशरूम का भी निर्यात किया जाएगा.

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बता दें कि गया जैसे गर्म स्थल पर सालभर मशरूम की खेती को देखने किसानों के साथ साथ डीएम और सांसद तक पहुंच रहे हैं. गया शहर से सुदूर गांव में इस तरह का प्रयोग देख डीएम ने भी कहा वाह क्या बात है. राजेश सिंह मूलतः औरंगबाद जिले के नवीनगर क्षेत्र के रहने वाले हैं. वो हैदराबाद से एग्रीकल्चर में स्नातक और विधान चन्द्र कृषि विवि बंगाल से एग्रीकल्चर में मास्टर की उपाधि भी प्राप्त कर रखी है. उन्होंने रांची के एक्सएलआरआई से एग्री बिजनेस मैनजमेंट की परीक्षा में भी टॉप किया है. राजेश सिंह ने शुरूआत में बैंक से लोन लेकर और पीएफ के पैसों से बुद्धा मशरूम प्लांट की शुरूआत की थी.

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