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बिहार: जमीनों से निकल रहे हैं बेशकीमती पत्थर और सोना, सरकार अनजान - Precious stones are coming out from the land of gaya

गया के वजीरगंज प्रखंड के हंसराज और सोमनाथ पहाड़ शृंखला के तलहटी में बसे गांवों में किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. बरसात के दिनों में इन गांवों की जमीन को जोतने पर बेशकीमती पत्थर और मोती के दाने मिलते हैं.

हंसराज और सोमनाथ पहाड़ शृंखला

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Published : Aug 21, 2019, 10:10 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 10:13 PM IST

गया: जिले के वजीरगंज प्रखंड के हंसराज और सोमनाथ पहाड़ शृंखला की तलहटी में बसे गांवों की जमीन सोना-मोती उगल रही है. गांवों की जमीन से बेशकीमती बर्तन, सोने की मूर्तियां और आभूषण निकल रहे हैं. ऐसे में सरकार की नजर आज तक इस ऐतिहासिक जगह पर नहीं गई है.

बरसात में मिलता है मूंगा पत्थर
हंसरा गांव के एक ग्रामीण ने बताया कि बरसात में गांव के लोग तराई भाग में अवस्थित खेतों की जब जोताई करते हैं तब उनको मूंगा पत्थर मिलता है. जमीन के अंदर से पौराणिक मिट्टी, कांस्य और पीतल के बर्तन आदि घरेलू सामग्री भी मिलते हैं. एक बार एक किसान को सोने के मूर्तियां मिली थी. यह सारी बेशकीमती चीजें लोगों को पहले भी मिलती थी, लेकिन पहले लोग इन सबको फेंक देते थे.
20 साल पहले बौद्ध धर्म से जुड़े लोग यहां आए थे और पत्थर के बारे में लोगों को बताया था. उसके बाद से पत्थर बेचने का सिलसिला शुरू हो गया. अब बोधगया से लोग बरसात होते ही गांव में मूंगा पत्थर खरीदने आ जाते हैं. 500 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के मूंगे यहां बेचे जाते हैं.

पूरी रिपोर्ट

पुरातात्विक पुस्तकों में है पहाड़ी श्रृंखलाओं का जिक्र
पुरातत्वों के अनुसार हंसराज और सोमनाथ पहाड़ी श्रृंखला का वर्णन कई पुरातात्विक पुस्तकों में है. गीता प्रेस से प्रकाशित विष्णु पुराण में इस क्षेत्र का वर्णन किया गया है. कई भौगोलिक लेखक की किताबें, इंडियन आर्कियोलॉजी और एलेक्जेंडर कनिघम के बौद्ध स्थलों की खोज सीरीज में भी सोमनाथ और हंसराज पहाड़ी श्रृंखला का उल्लेख किया गया है.

गया का हंसराज और सोमनाथ पहाड़ शृंखला

हंसराज पहाड़ पर है शिव मंदिर
1934 में सोनपुर के जमींदार शासक निरसु नारायण सिंह ने हंसराज पहाड़ पर मंदिर का निर्माण कराया था. पहाड़ पर चार फीट का शिवलिंग है. जमींदार शासक निरसु नारायण सिंह इस शिवलिंग को सोनपुर ले जाना चाहते थे. लेकिन लाख जतन करने के बाद भी शिवलिंग अपने जगह से नहीं हिला. इसलिए शासक ने यहीं शिव मंदिर का निर्माण करवाया दिया. मंदिर के निर्माण के साथ पहाड़ की तलहटी में कुआं, तालाब और बागवान भी उन्होंने बनवाया. ऐसे में सावन माह और शिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है.

हंसराज पहाड़ पर बना शिव मंदिर

सरकार सामने ला सकती है धरोहर की पहचान
जमीन से बेशकीमती मोती के दाने, सोने की मूर्तियां और हीरे-जवाहरात निकल रहे हैं. इससे यह प्रतीत होता है कि यह पर्वतीय श्रृंखला किसी बड़े शासक का क्षेत्र रहा होगा. अगर इस क्षेत्र की खुदाई सरकार कराए तो निश्चित ही एक ऐतिहासिक धरोहर की पहचान सामने आएगी.

Last Updated : Aug 22, 2019, 10:13 PM IST

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