गया: बिहार में कोरोना काल के बीच चुनाव होने के आसार लग रहे हैं. इसको लेकर सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारियों में लगे हुए हैं. जनता के बीच अपनी बातों को पहुंचाने के लिए खूब वर्चुअल तरीका अपनाया जा रहा है. नेताओं के चुनाव प्रचार के पारंपरिक तरीके बदलकर अब पूरी तरह से डिजिटल हो गए हैं.
राजनीतिक पार्टियों ने हायर की आईटी टीम सोशल मीडिया ही सहारा!
दरअसल, इस वक्त पूरा देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है. इसी कोरोना काल में बिहार विधानसभा चुनाव होने के आसार हैं. यह चुनाव आयोग, प्रशासन और राजनीतिक दलों के आगे बड़ी चुनौती है. जिस तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है उसने बड़ी-बड़ी राजनीतिक रैलियों की रफ्तार रोक दी है. अब एकमात्र माध्यम सोशल मीडिया है.
'50 हजार लोगों से संपर्क'
लोग अपनी पसंद के मुताबिक नेताओं से ऑनलाइन जुड़ रहे हैं. वहीं ये नेता भी उनसे जुड़कर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसी सिलसिले में गया जिले के बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से जदयू से अपनी दावेदारी पेश कर रहे नेता चंदन यादव ने कहा कि हमलोग पिछले तीन महीने में 50 हजार लोगों से सोशल साइट्स के माध्यम से जुड़े हैं.
पार्टियों के लिए काम करती आईटी सेल उन्होंने कहा कि मेरी खुद की आईटी सेल है जो विधानसभा क्षेत्र के लोगों से संपर्क साधकर सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी देती है. इस माध्यम से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.
BJP ने की वर्चुअल रैली की शुरुआत
वहीं, बीजेपी की बात करें तो पार्टी ने कोरोना काल में वर्चुअल रैली की शुरुआत की थी. वर्चुअल संवाद के जरिए युवा मोर्चा प्रदेश कार्य समिति की बैठक की गई जिसमें पूरे बिहार से 300 से अधिक कार्यकर्ता जुड़े रहे. भाजयुमो के प्रदेश सोशल मीडिया प्रमुख आयुष सिंह ने बताया हमलोग कोरोना काल के शुरुआत से ही वर्चुअल तरीके से पार्टी नेताओं से जुड़ रहे हैं. अब पार्टी की सभी छोटी-बड़ी बैठक व रैलियां सोशल साइट्स के माध्यम से होती हैं. हमलोगों को एक लिंक दी जाती है जिसे ज्यादा से ज्यादा शेयर कर अधिक लोगों को जोड़ा जा सका है.
कांग्रेस को भी सोशल मीडिया का सहारा
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी सोशल साइट्स के जरिए ऑनलाइन सदस्यता अभियान शुरू कर दिया है. कांग्रेस मगध क्षेत्र के प्रवक्ता विजय कुमार मिठू ने बताया कि अभी के हालात वर्चुअल रैली और संवाद समय की मांग है. कांग्रेस नेता भी सोशल साइट्स के जरिए बैठकों में शामिल हो रही है. पार्टी ने सोशल साइट्स एसेट्स के माध्यम से चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है.
परेशानी झेल रही कम रसूख पार्टियां
इन सबके बीच अब ऐसे नेता परेशानी झेल रहे हैं जिनका सोशल साइट्स से दूर-दूर तक कोई रिश्ता-नाता नहीं है. हालांकि बड़ी पार्टियों की सेल इन नेताओं को ट्रेनिंग दे रही है. वहीं, कम सामर्थ्य वाली पार्टियों के कार्यकर्ताओं में बड़ी समस्या डाटा खर्च वहन की है. वहीं कई सुदूर इलाकों में रहना इन्हें डिजिलाइज्ड होने से दूर करता है.