गया :बिहार के गया जिले का मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल. यहां थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए कई कदम उठाए गए हैं. केयर इंडिया नाम की संस्था के द्वारा यहां डे केयर सेंटर बनाया गया है. डे केयर सेंटर में हर सुविधाएं उपलब्ध हैं. बच्चों के रहने से लेकर भोजन, इलाज, ब्लड के साथ-साथ उनके लिए मनोरंजन की भी व्यवस्था रखी गई है.
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मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन : संभवत किसी अस्पताल में प्ले जोन नहीं ही होता है. लेकिन, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए डे केयर सेंटर में प्ले जोन की व्यवस्था की गई है. यहां बच्चों के लिए एक बड़ा सा कमरा खेलने-कूदने के लिए बनाया गया है. बच्चे इलाज के साथ-साथ अब यहां मनोरंजन भी कर सकेंगे.
अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी :बच्चों के लिए खिलौने में झूला, घोड़ा गाड़ी, कुर्सी, समेत विभिन्न तरह के खिलौने रखे गए हैं. वहीं, दीवारों पर बच्चों को आकर्षित करने वाली पेंटिंग लगाई गई है, जो कि विभिन्न जानवरों की है, जिससे बच्चों का विशेष लगाव होता है. इसके अलावा अन्य तरह की मनोरंजक पेंटिंग भी यहां बनाई गई है. थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए बनाए गए प्ले जोन में लगाई गई वॉल पेंटिंग हर किसी को आकर्षित करती है.
थैलासीमिया पीड़ित बच्चों को मिलता है आसानी से ब्लड :इस संबंध में मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया से ग्रसित सभी को यहां आसानी से ब्लड मिलता है. इसके अलावा यहां जो बच्चे इलाज के लिए आते हैं, उनके लिए प्ले जोन भी बनाया गया है. अब मगध प्रमंडल के सभी जिलों गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा के थैलासीमिया से ग्रसित मरीज यहां बेहतर उपचार करवा सकेंगे. घरेलू माहौल और मनोरंजन के वातावरण में यहां इलाज किए जाने की शुरुआत की गई है.
अगर खून में RBC की संख्या कम हो जाए, तो.. :मेडिकल अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया और हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारियां है, जो मां बाप से बच्चों में आती है. थैलासीमिया ब्लड के प्लॉटिंग डिसऑर्डर को कहते हैं. इसमें रक्त के बाहर निकलने से थक्का होने में दिक्कत होती है, जिससे रक्त ज्यादा देर तक बाहर गिरता जाता है. ऐसे में जब शरीद में RBC यानी रेड ब्लड सेल्स का काउंट कम हो जाता है, तो कुछ लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बच्चों में थकान, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन, कमजोरी आना, तेज धड़कन, नजर कमजोर होना, आदि.
खून को गंदा पानी बनाकर छोड़ती है RBC की कमी:मेडिकल अधीक्षक ने बताया कि RBC खून का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसकी कमी से खून एक गंदा पानी बन जाता है और पोषण ले जाने का काम बाधित हो जाता है. थैलासीमिया में ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया है. पहले यह मुश्किल हुआ करता था. मरीजों को 3 हफ्ते पर ब्लड चढाने की जरूरत होती है, लेकिन अब मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया से पीड़ित बच्चों का बेहद ही सकारात्मक तरीके से इलाज किया जा रहा है.