गया: पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) के तहत गयाजी में पिंडदान का आज दसवां दिन है. पिंडदानी आज दसवां पिंडदान (Tenth Day Of Pinddan In Gaya) कर रहे हैं. गयाजी में पिंडदान के दसवें दिन मातृ नवमी को सीताकुंड और रामगया में पिंडदान करने का महत्व है. गयाजी में दसवें दिन सीताकुंड पर सुहाग पिटारी दान और बालू का पिंड अर्पित किया जाता है. साथ ही फल्गु नदी के किनारे पड़े बालू से पिंड बनाकर पिंदडान करने का विधि-विधान है.
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गयाजी में स्थित सीताकुंड को लेकर एक कथा प्रचलित है. कथा यह है कि श्रीराम, लक्षमण और माता सीता वनवास काल में राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात पिंडदान करने गया जी में आए थे. भगवान श्रीराम और लक्ष्मण पिंड की सामग्री लेने के लिए गए हुए थे. इसी बीच राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. जिसमें राजा दशरथ ने कहा पुत्री सीता जल्द हमें पिंड दो. पिंड देने का मुहूर्त बीता जा रहा है. माता सीता ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के आने में देरी होते देख फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ को अर्पित कर दिया. इसके बाद राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से सीताकुंड पिंडवेदी पर बालू का पिंड बनाकर पितरों को देने का प्रावधान है.
राजा दशरथ को पिंडदान करने की बात जब माता सीता ने श्रीराम को बताई, तो उन्होंने कहा कि बिना किसी सामग्री के पिंडदान कैसे किया जा सकता है. माता सीता ने गाय, फल्गु नदी, ब्राह्मण और केतकी के फूल चारों को साक्षी मानकर पिंडदान किया था. उन्होंने तीनों से आग्रह किया कि बताएं पिंडदान किया जा चुका है. लेकिन गाय, फल्गु , ब्राह्णण और केतकी मुकर गए. अंत में माता सीता ने राजा दशरथ को याद कर प्रामणिकता देने की बात कही. राजा दशरथ ने श्रीराम को बताया कि सीता ने मुहूर्त निकलता देख मुझे पिंडदान कर दिया था. जिसके बाद से महिला पिंजदान के दसवें दिन सुहाग पिटारी दान करती है. साथ ही पिंडदानी महिलाएं पूर्वज से सुहागिन होने का आशीर्वाद मांगती हैं.
कहा जाता है श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज अपने परिजनों के हाथों से तर्पण स्वीकार करते हैं. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने का विधान बताया गया है. मान्यता है जो लोग इस दौरान सच्ची श्रद्धा से अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पितृपक्ष में दान- पुण्य करने से कुंडली में पितृ दोष दूर हो जाता है. ऐसा भी कहा जाता है जो लोग श्राद्ध नहीं करते उनके पितरों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती और पितृ दोष लगता है. इसलिए पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितरों का श्राद्ध जरूरी माना जाता है.
जानिए किस तिथि में कौन सा श्राद्ध पड़ेगा?
20 सितंबर (सोमवार) 2021- पहला श्राद्ध, पूर्णिमा श्राद्ध
21 सितंबर (मंगलवार) 2021- दूसरा श्राद्ध, प्रतिपदा श्राद्ध
22 सितंबर (बुधवार) 2021- तीसरा श्राद्ध, द्वितीय श्राद्ध
23 सितंबर (गुरूवार) 2021- चौथा श्राद्ध, तृतीया श्राद्ध