गया: सनातन धर्मावलंबियों का पितृ पक्ष मेला शुरू हो चुका है. इस दौरान लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पिंडदान करने गया पहुंच रहे हैं. वो सब अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान भी कर रहे हैं. रविवार को जम्मू-कश्मीर से 140 तीर्थ यात्रियों का दल गया पहुंचा. इन तीर्थयात्रियों ने शहर के सीताकुंड पिंडवेदी पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया.
जम्मू-कश्मीर से पिंडदान करने गया पहुंचे तीर्थयात्री, कहा- अनुच्छेद 370 हटने से वहां के लोगों को मिली है मुक्ति
गया में पिंडदान करने पहुंचे जम्मू निवासी मदन लाल शर्मा ने बताया कि जम्मू से आये हुए सभी 140 लोग एक साथ अपने पितरों के मोक्ष के लिए यहां पिंडदान कर रहे हैं. पिंडदान को लेकर यहां जिला प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था कर रखा है. साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर कहा कि सही मायने में वहां के लोगों को अब मुक्ति मिली है.
जम्मू से पिंडदान करने 140 लोगों का पहुंचा जत्था
पिंडदान करने गया पहुंचे जम्मू निवासी मदन लाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि जम्मू से आये हुए सभी 140 लोग एक साथ अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां पिंडदान कर रहे हैं. यहां जिला प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था कर रखा है. साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से सही मायने में वहां के लोगों को अब मुक्ति मिली है. जिस तरह से गया जी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. उसी तरह से 60 सालों बाद एनडीए की सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्मकर वहां के लोगों को मुक्ति दिया है. उन्होंने कहा कि पहले पीओके में हमलोग नहीं जा सकते थे. क्योंकि वहां पर पाकिस्तान अपनी मर्जी चलाता था. लेकिन अनुच्छेद 370 हटने से अब जम्मू-कश्मीर के लोग भी पीओके जा सकते हैं.
अखंड भारत का दिया संदेश
पिंडदान करने गया आये हुए मदन लाल शर्मा ने देश की एकता और अखंडता के बारे में बताते हुए कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत देश एक है. ऐसे में एक संविधान और एक कानून भी सभी जगहों पर लागू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था, तब वहां के अलगाववादी नेताओं के हाथों में ही सब कुछ था. सरकार की योजना का लाभ भी अलगाववादी नेताओं की इच्छा से मिल पाता था. लेकिन अब सरकार की योजना का लाभ जम्मू-कश्मीर के पंचायत स्तर तक के लोगों को भी मिलेगी. हमलोग अनुच्छेद 370 के हटाने का स्वागत करते हैं.