गया:जब सेपूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी(Jitan Ram Manjhi) ने भगवान राम के अस्तिव (Existence of Lord Ram) को लेकर सवाल उठाए हैं, तब से उन पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ धर्म गुरुओं की ओर से हमले तेज हो गए हैं. पंडा समाज ने भी उनने बयान पर आपत्ति जताई है. गया (Gaya) के विष्णुपद क्षेत्र में रहनेवाले राजाचार्य ने कहा कि श्रीराम का संबंध गया से भी है, लेकिन हम प्रमुख को अपने क्षेत्र का भी ज्ञान नहीं है.
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गया के विष्णुपद क्षेत्र में रहने वाले राजाचार्य ने बताया कि अभी पितृपक्ष चल रहा है. पितृपक्ष में हजारों लोग हर दिन गयाजी में पिंडदान कर रहे हैं. रामजी का संबंध गया से है. रामजी ने गयाजी में जहां-जहां पिंडदान किया था, उस स्थान आज पिंडवेदी है. पिंडदानी उस स्थान पर आज भी पिंडदान करते हैं.
राजाचार्य ने कहा कि गयाजी आने वाले लोग सीताकुंड, रामशिला और रामकुंड में जो पिंडदान कर रहे हैं, क्या ये लोग राम का अस्तित्व को नहीं जानते हैं. गया ही नहीं अगर राम का अस्तित्व नहीं रहता तो अयोध्या नहीं रहता, श्रीलंका और इंडोनेशिया देश का भी अस्तित्व नहीं रहता.
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भगवान राम के अस्तित्व पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का बयान घोर निंदनीय है. उनको अपने क्षेत्र का ज्ञान नहीं है. जिस क्षेत्र में उनका निजी आवास है, उस क्षेत्र से राम का जुड़ाव है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को अपने क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें. सनातन धर्म की पुस्तकों को पढ़ लें, जब उनको अस्तित्व की जानकारी नहीं मिले, तब जाकर बयान दें. पूरे देश में राम का अस्तित्व ही सबके सामने आया है.
आपको बताएं कि मंगलवार को हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा था कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है, वो सीखने लायक है. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है. वहीं विवाद बढ़ने के बावजूद मांझी अपने उस बयान पर कायम हैं. बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, 'देखने का अपना-अपना नजरिया है. मैं अपने बयान पर एकदम कायम हूं. 100 नहीं 200 प्रतिशत कायम हूं. रामायण महाकाव्य है. उसमें बहुत सी सूक्तियां हैं. जैसे हितोपदेश में मूर्ख राजा के बेटे को कहानी कहकर नीति निरूपित किया गया है. उन्हें प्रकाण्ड विद्वान बनाया गया है. इसी हिस्से में रामायण है. रामायण में बहुत अच्छी-अच्छी बातें हैं. उन बातों को मानना चाहिए. किसी को नायक और नायिका बनाकर ये बातें कहीं गईं हैं.'