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परंपरागत पान की खेती से हो रहा घाटा, मजबूरन नई पीढ़ी करने लगी है पलायन - जिला उद्यान अधिकारी ओम मिश्रा

जिले के वजीरगंज प्रखंड के पिपरा और जमुआवा गांव के मगही पान खेती सालों से हो रही है. लेकिन खेती में लगातार रहे घाटे से अब किसानों का मन उचटने लगा है. नई पीढ़ी मजदूरी के लिए पलायन करने लगी है.

Gaya
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Published : Feb 21, 2020, 2:21 PM IST

गया: जिले में होने वाले मगही पान की मांग बनारस सहित विदेशों में भी है. जिले के वजीरगंज प्रखंड के पिपरा और जमुआवा गांव में मगही पान की खेती लंबे समय से की जा रही है. इन गांवों में बसे चौरसिया समाज के लगभग दर्जन भर परिवार पुश्तों से पान की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन सरकार की उदासीनता कि वजह से नई पीढ़ी पलायन करने लगी है.

गया स्थित पान की खेत में किसान

जिले में नहीं है पान की मंडी
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गया-नवादा बॉर्डर पर एनएच 82 के पास स्थित पिपरा और जमुआवा गांव में सदियों से पान की खेती की जा रही है. यहां लगभग बीस एकड़ में पान की खेती फैली है. लेकिन मौसम की मार और बाजार में उचित मुल्य नहीं मिलने के कारण लोगों का मन पान की खेती से उचट रहा है. जिले में पान की मंडी नहीं होने के कारण बिचौलिए किसान से औने-पौने भाव में पान की खरीद करते है और बाहर ले जाकर महंगे भाव में बेचते हैं. किसान शिवपूजन ने कहा कि इसमें अधिक लागत और कम मुनाफा की वजह से नई पीढ़ी पान के खेती के तरफ रुख नही कर रही है. वो लोग मजदूरी करने के लिए पलायन करने लगे है.

पेश है रिपोर्ट

'75 फीसदी मिलेगा अनुदान'
वहीं, जिला उद्यान अधिकारी ओम मिश्रा ने बताया कि पान की खेती के लिए कोई अनुदान नही है लेकिन सरकार एक योजना लायी है, जिसके तहत शेड नेट के जरिए पान की खेती की जाएगी. जिसमें किसानों को 75 फीसदी अनुदान दिया जाएगा. इसके लिए जिले से अब तक 13 आवेदन मिल चुके हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही चंदौती में पान की मंडी खोली जाएगी. जहां स्टोरेज की भी सुविधा होगी.

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