गयाः अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड-19 हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया गया है. इसके बाद गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को प्रभावती अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है. लेकिन प्रभावित अस्पताल में मरीज को ब्लड चढ़ाने की सुविधा नहीं है. ऐसे में निजी अस्पताल से रेफर की गई एक महिला को ना ही खून चढ़ाया जा सका और ना ही दूसरे अस्पताल में जाने के लिए एम्बुलेंस मिला.
पेट में बच्चे की मौत के बाद भी गर्भवती को कर दिया रेफर, खून की थैली के साथ ऑटो से गई मरीज
सब्जी बेचकर जीवनयापन करने वाले अजय की गर्भवती पत्नी को पटना रेफर कर दिया गया. लॉक डाउन की स्थिति में पटना जाना मुनासिब नहीं समझा और अपनी पत्नी को ऑटो पर खून चढ़ाते हुए निजी अस्पताल ले गया. अस्पताल परिसर में एम्बुलेंस रहने के बावजूद मरीज को एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया गया.
दरअसल, डेल्हा थाना क्षेत्र का दिव्यांग अजय कुमार अपनी पत्नी रेखा देवी को लेकर मंगलवार को अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा. जहां, इलाज के नाम पर रेफर के लिए एक पुर्जा थमा दिया गया. बता दें कि दिव्यांग अजय कुमार की पत्नी गर्भवती थी और उसके पेट में ही बच्चे की मौत हो गई. निजी अस्पताल से रेफर करने के बाद उसे एक यूनिट ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ी. लेकिन डॉक्टरों ने ब्लड चढ़ाने की जगह यहां से भी रेफर कर दिया. मरीज के परिजन मिन्नत करते रहे लेकिन अस्पताल के किसी भी कर्मी या अधिकारी ने उसकी एक नहीं सुनी. वहीं, अस्पताल परिसर में महिला तड़प रही थी.
एक अन्य महिला को भी हुई परेशानी
डुमरिया से आयी उर्मिला देवी के परिजनों ने बताया दिन में 11 बजे भर्ती की गई. दोपहर 3 बजे के बाद तक उनका कोई उपचार नहीं हुआ. गर्भवती को खून की कमी बताई गई. परिजनों ने खून देने की भी बात कही. लेकिन मौजूद डॉक्टर ने मरीज को मेडिकल कॉलेज में ब्लड चढ़ाने की सलाह दी. ऐसा नहीं करने पर उसे पटना रेफर कर दिया गया. हालांकि ये मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंच गया है. जानकारी के अनुसार अविलंब प्रभावित अस्पताल के अधीक्षक को हटाकर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के उपाधीक्षक पीके अग्रवाल को पदभार दिया गया है.