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Operation Rakshak 2001 : शहीद कैप्टन बालेन्दु सिंह सेंगर का बेटे ने किया गया में पिंडदान, शहादत के वक्त मां के गर्भ में था बेटा - Pind Daan in Gaya

ऑपरेशन रक्षक 2001 में 'शौर्य चक्र विजेता' कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर शहीद हो गए थे. वर्ष 2001 में ऑपरेशन रक्षक चला था, जिसमें कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर शहीद हुए थे. शौर्य चक्र विजेता कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर जब शहीद हुए थे, तब पुत्र कार्तिकेय अपनी मां की कोख में सिर्फ 3 महीने का था. अब 22 साल बाद अपने पिता कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर को मोक्ष दिलाने के लिए गया जी पहुंचे और कर्मकांड किया.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 1, 2023, 4:09 PM IST

शौर्य चक्र विजेता शहीद बालेन्दु सिंह सेंगर के बेटे ने शहादत के 22 साल बाद किया पिता का पिंडदान

गया : 22 साल पहले ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए शौर्य चक्र विजेता कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर का गया पितृपक्ष मेले में पिंडदान उनके पुत्र द्वारा किया गया. कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर जब शहीद हुए थे, उस समय उनका पुत्र कार्तिकेय अपनी मां की कोख में सिर्फ तीन माह का था. अब 22 साल बाद बेटा कार्तिकेय सिंह सेंगर विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में मोक्ष नगरी गया जी पहुंचा. जहां शहीद पिता को मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान कर रहे हैं.

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पितृ पक्ष मेले में पहुंचा शहीद का परिवार: गया में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में शौर्य चक्र विजेता ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर का परिवार पहुंचा है. शहीद कैप्टन के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान का कर्मकांड किया जा रहा है. गया में शहीद कैप्टन का परिवार विभिन्न वेदियों पर पिंडदान कर रहा है. शहीद की पत्नी नीतू सिंह सेंगर और पुत्र कार्तिकेय सिंह सेंगर पहुंचे हैं. परिवार के अनुसार शहीद कैप्टन को मोक्ष दिलाने के लिए गयाजी में पिंडदान का कर्मकांड किया जा रहा है. इसके लिए अलग-अलग वेदियों की मान्यता के अनुसार पिंडदान तर्पण का कर्मकांड कर रहे हैं.

शहीद कैप्टन बालेन्दु सिंह सेंगर


'वीरगति को प्राप्त हुए थे मेरे पिता': शहीद बालेंदु सिंह सेंगर के पुत्र कार्तिकेय सिंह सेंगर ने बताया कि मेरे पिता वीरगति को प्राप्त हुए थे. मेरे दादाजी भी आईपीएस थे. शहीद कैप्टन पिता को मोक्ष दिलाने गया जी आए हैं और पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. विष्णुपद, फल्गु, प्रेतशिला समेत अन्य वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड किया जा रहा है.

प्रयागराज का रहने वाला है शहीद परिवार: वहीं, शहीद की पत्नी नीतू सिंह सेंगर ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के अल्लापुर की रहने वाली हैं. पत्नी नीतू सिंह सेंगर 2001 की शहादत की बात बताते-बताते थोड़ी भावुक हो जाती हैं. कहती हैं- मेरे पति बालेंदु सिंह सेंगर शहीद हुए थे, तब कार्तिकेय मेरी कोख में सिर्फ 3 महीने का था.

शहीद कैप्टन बालेन्दु सिंह सेंगर की पत्नी

दादा और शहीद पिता का एकसाथ पिंडदान : कार्तिकेय के जन्म के 22 साल बाद शहीद कैप्टन के मोक्ष की कामना को लेकर बेटे के साथ अब पिंडदान करने गया को पहुंचे हैं, ताकि शहीद कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर को मोक्ष की प्राप्ति हो सके. विधि विधान के अनुसार पिंडदान तर्पण का कर्मकांड किया जा रहा है. वहीं, पुत्र कार्तिकेय सिंह सेंगर ने बताया कि वह अपने शहीद पिता शौर्य चक्र विजेता कैप्टन बालेंदु सिंह सेंगर और दादा का पिंडदान कर रहा है.

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