गया:कुछ महीने पहले गुजरात के एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से कई बच्चे झुलस गए थे. इस घटना से पूरा देश सहम गया था. इसके बाद बिहार सरकार ने आग से बचाव के लिए सरकारी स्कूलों को अग्निशमन यंत्र लगाने का निर्देश दिया था. इसके लिए राशि भी आवंटित किया गया. लेकिन ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो शहर के बड़े सरकारी विद्यालयों में आग से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था नहीं मिली. यहां तक की सुरक्षा के नाम पर स्कूलों में एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है.
अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु
ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो शहर के दो स्कूलों में अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु बनी हुई है. ये यंत्र कब का एक्सपायरी हो चुके हैं. आलम यह है कि इन यंत्रों का उपयोग कैसे किया जाता यह भी किसी को पता नहीं है. इन स्कूलों में व्यवहारिक और तकनीकी रूप से आग से बचाव के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं है.
आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं
गया के लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन लकड़ी के चूल्हा पर बनता है. ये भोजन स्कूल के प्रांगण, यहां तक की कई स्कूलों में तो क्लास रूम में बनाए जाते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. व्यवहारिक तौर पर बाल्टी में बालू भी भरकर नहीं रखा गया है.
विद्यालय में नहीं पहुंची एडजवारी और राशि
सरकार के तरफ से एडजवारी और राशि दोनों जारी किया गया लेकिन किसी भी विद्यालय में अब तक एडजवारी और राशि नहीं पहुंची है. शहरी क्षेत्रों के सरकारी विद्यालय में तो शोभा के लिए सही अग्निशमन सिलेंडर तो लगाया गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक की विद्यालयों के प्रधानचार्य और शिक्षकों भी नहीं मालूम है कि स्कूल में अग्निशमन यंत्र लगाना है.