बिहार में नीरा तिलकुट की डिमांड गया: नीरा के उत्पादन को लेकर सरकार की कई योजनाएं हैं लेकिन अभी तक अधिकांश योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई हैं. साल 2016 में पूर्ण शराबबंदी के बाद 2017-18 में नीरा की योजना लाई गई थी. मकसद था कि लोग शराब की जगह नीरा का सेवन कर सकेंगे. लेकिन नीरा की न तो बिक्री बढ़ी और ना ही इसे पीने में लोगों ने दिलचस्पी दिखाई थी. नतीजतन नीरा के खुलने वाले काउंटर भी कुछ दिनों के अंतराल में ही बंद हो गए. लेकिन इस बार का मकर संक्रांति (makar sankranti 2023) नीरा को एक बड़ा प्लेटफॉर्म दे रहा है. बिहार के गया में नीरा से पहली बार तिलकुट बनाई जा रही है. वहीं नीरा से पेड़ा, लडडू और लाई भी बनाकर बेची जा रही है. गया जिले के बोधगया प्रखंड अंतर्गत इलरा गांव में कुछ परिवार नीरा से तिलकुट बनाने का काम कर रहा है. (Neera Tilkut in Bihar) (gaya makar sankranti 2023 )
पढ़ें-'ताड़ी के बदले नीरा का उत्पादन करें, काफी उपयोगी होता है... मैंने भी चखा'
गया में बन रही नीरा स्पेशल तिलकुट:बिहार में अब सबसे पहले गया में नीरा से तिलकुट बनाया जा रहा है. गया के इलरा में कुछ परिवार नीरा से तिलकुट बनाने के काम में लगे हैं. बड़ी बात यह है कि इसकी मांग बाजारों में भी है. जागरूक और जानने वाले लोग नीरा के तिलकुट व नीरा से बनीं अन्य मिठाइयों को पसंद कर रहे हैं. बोधगया में विदेशी भी इसकी डिमांड कर रहे हैं. (Neera Tilkut demand in Bihar)
नीरा से बनी तिलकुट की बढ़ी डिमांड:इलरा गांव की पुष्पा राज शांति जीविका से जुड़ी हैं. परिवार की मदद से नीरा से तिलकुट बना रही हैं. इन तिलकुटों को बोधगया के बाजार में फिलहाल बेचा जा रहे है. बाजार में देसी पर्यटक हों या विदेशी पर्यटक, उन्हें नीरा का तिलकुट भा रहा है.
"शुरू में लगा था कि नीरा का तिलकुट बिक भी पाएगा या नहीं लेकिन लोगों को इसकी जानकारी दी गई. लोग जागरूक हुए तो बाजार में इसकी डिमांड बढ़ी है. बोधगया में इसकी अच्छी बिक्री हो रही है. देसी पर्यटक हो या विदेशी पर्यटक, हर किसी को नीरा का तिलकुट स्वादिष्ट लग रहा है."- पुष्पा राज, जीविका दीदी
"मैंने नीरा से बनी तिलकुट खाई है. बहुत टेस्टी है. नीरा बहुत फायदेमंद है और तिलकुट भी सेहत के लिए अच्छा है."-शायमन, पर्यटक, नेपाल
सीएम नीतीश ने कहा था-'मैंने भी चखा है':वहीं, इस संबंध में इलरा गांव के डब्लू कुमार बताते हैं, कि नीरा का तिलकुट काफी स्वादिष्ट होता है. नीरा से पेड़ा और लाई भी बनाई जा रही है. सीएम नीतीश (cm nitish kumar on Neera ) को भी नीरा से बनी मिठाई भा रही है. इससे पहले मार्च 2022 में अपने मधेपुरा दौरे के दौरान भी सीएम ने लोगों से ताड़ी का काम छोड़कर नीरा का उत्पादन करने की अपील की थी.उन्होंने कहा था कि ताड़ी के बदले नीरा का उत्पादन करने वाले लोगों को राज्य सरकार मदद देगी. उन्होंने कहा था कि इसे मैंने भी थोड़ा चखा है, स्वाद इसका काफी अच्छा है.
"नीरा से बनी मिठाईयों की अच्छी डिमांड है. वह लोगों को नीरा के तिलकुट के व्यवसाय से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और कई तैयार भी हुए हैं. अब नीरा का तिलकुट बना रहे हैं और दुकानों में भी बेच रहे हैं. इसे खाने वाले बताते हैं कि नीरा का तिलकुट स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी नीरा से बनी मिठाई भा आ रही हैं."-डब्लू कुमार,तिलकुट विक्रेता
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है नीरा:नीरा से बने तिलकुट में शुगर की मात्रा कम होती है. नीरा सेहत के लिए भी फायदेमंद है. नीरा से बनने वाला तिलकुट लाजवाब स्वाद वाला होता है. नीरा का तिलकुट बनाने में कोई ज्यादा परेशानियां भी नहीं है. बस नीरा को सुखाकर उसे गुड़ बना देना है और फिर गुड़ और तिल मिलाकर उसे कूटकर तिलकुट का रूप देना है.
2017-18 में बिहार के गया समेत दर्जनभर जिलों में हुई थी शुरुआत:राज्य में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी के बाद से ही तार-खजूर के पेड़ों से नीरा उत्पादन की योजना तैयार की गई थी. सरकार की ओर वर्ष 2017-18 में राज्य के 12 जिले- मुजफ्फरपुर, नालंदा, गया, पटना, समस्तीपुर, वैशाली, औरंगाबाद, भागलपुर, नवादा, जहानाबाद, बांका, मुजफ्फरपुर और सारण में इसकी बिक्री शुरू कीई थी. ताड़ खजूर के पेड़ों से उतरने वाली सुबह की रस को नीरा कहा जाता है. वहीं, सूर्योदय बाद यदि ताड़ खजूर का रस छेवक द्वारा पेड़ से उतारा जाता है, तो उसमें अल्कोहल की मात्रा आ जाती है. वर्तमान में राज्य सरकार ने नीरा को लेकर कई योजनाएं बनाई है. वहीं सूर्योदय के देर बाद उतारे जाने पर वह ताड़ी हो जाती है, जिससे अल्कोहल की मात्रा भी आ जाती है. इसे लेकर राज्य सरकार ने ताड़ी को देसी दारू की श्रेणी में रखा है.