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गया में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध, इपीडेमियोलॉजिस्ट की टीम करेगी जांच

बिहार के गया में भी मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध (Monkeypox In Gaya) मरीज मिला है, जो दिल्ली से लौटा है. फिलहाल उसे अन्य मरीजों से अलग रखा गया है. पटना में मंकीपॉक्स के पहले संदिग्ध मामले मिलने के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया था, जिसके बाद तमाम जिलों में भी ऐसे संदिग्ध मरीजों पर निगरानी रखी जा रही है.

मंकी पॉक्स
मंकी पॉक्स

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Published : Jul 30, 2022, 8:19 AM IST

Updated : Jul 30, 2022, 9:30 AM IST

गयाःपटना और राजगीर के बाद अब बिहार के गया में भी मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज (Monkeypox suspect patient found in Gaya) मिलने से हड़कंप मंच गया है. युवक शुक्रवार को ही दिल्ली से गया लौटा है और वह बीमार है. उसके शरीर पर चकत्ते के निशान भी मिले हैं. दिल्ली से ट्रेन से गया लौटते ही वह गया जिले के फतेहपुर प्रखंड स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गया, जहां डॉक्टर्स ने उसकी जांच की. फिलहाल उसे चिकित्सकों की निगरानी में आइसोलेशन में रखा गया है.

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अस्पताल पहुंचते ही वहां अफरा तफरीः बताया जाता है कि 21 वर्षीय मंकीपॉक्स के संदिग्ध युवक के अस्पताल पहुंचते ही वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया. फतेहपुर स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी ने सिविल सर्जन को मौखिक रिपोर्ट दी है, जिसमें बताया गया है कि शरीर के कुछ हिस्सों पर चकते के निशान हैं, तलहटी और तलवा पर ऐसा नहीं देखा गया है. लेकिन बीमारी के लक्षण को देखते हुए स्वास्थ विभाग किसी मंकीपॉक्स संदिग्ध की जांच में कोई लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है.

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अन्य मरीजों से अलग रखा गया संदिग्ध मरीजः फिलहाल, संदिग्ध मरीज को अन्य मरीजों से अलग रखा गया है. वहीं, गया के सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार ने व्हाट्सएप के माध्यम से संदिग्ध मरीज की कुछ फोटो फतेहपुर अस्पताल के प्रभारी से मांगी है. गौरतलब है कि बीते दिन एयरपोर्ट पर भी एक मंकीपॉक्स संदिग्ध का मामला सामने आया था, लेकिन उसकी जांच में वैसा कुछ नहीं पाया गया था, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया था.

"21 वर्षीय युवक दिल्ली से गया पहुंचा था. ट्रेन से गया और फिर अपने गांव फतेहपुर जाने के बाद वो खुद ही अस्पताल में गया. युवक के शरीर पर चकते के निशान तो मिले हैं, जिसे लेकर सतर्कता बरती जा रही है. फतेहपुर के स्वास्थ्य प्रभारी द्वारा कुछ जानकारियां दी गई हैं. इसके बाद अस्पताल के प्रभारी को निर्देशित किया गया है. संदिग्ध को आइसोलेशन में रखने की बात कही गई है. व्हाट्सएप पर संदिग्ध के फोटो भी मांगे गए हैं. इसकी जांच की जाएगी"- डॉक्टर रंजन कुमार, सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉक्टर रंजन कुमार ने ये भी बताया कि एपीडेमियोलॉजिस्ट (महामारी) की टीम को फतेहपुर भेजा जाएगा, ताकि संदिग्ध के संबंध में पूरी तरह से पुष्टि हो सके. सिविल सर्जन के मुताबिक युवक के परिजनों ने बताया है कि पिछले साल भी युवक को चेचक हुआ था और इस साल भी चेचक जैसा ही है. सिविल सर्जन ने बताया कि फिलहाल जांच के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा.

मंकीपॉक्स के लक्षण :बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं. वैश्विक स्तर पर, अब तक 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं.

मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) :मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.

Last Updated : Jul 30, 2022, 9:30 AM IST

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