गया: मोक्ष धाम गया जी में 17 दिसंबर से 14 जनवरी तक चलने वाला पौष पितृपक्ष में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पिंडदान करने गया जी पहुंचे हैं. बता दें कि पौष माह की शुरूआत हो चुकी है. वहीं, पौष अमावस्या 26 दिसंबर को है. धार्मिक रूप से यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है. पौष अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है. वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है. इसके चलते गया जी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है.
पौष पितृपक्ष को बोलचाल के भाषा मे मिनी पितृपक्ष कहा जाता है. मिनी पितृपक्ष को लेकर ईटीवी ने तीर्थ पुरोहित से जानकारी ली. उन्होंने ने बताया खरमास माह में पितरों का कर्म यानी पिंडदान किया जाता है. पूरे साल में तीन तरह का पिंडदान होता है. ये मिनी पितृपक्ष है. इसमें देश के सभी राज्यों से पिंडदान करने पिंडदानी गया जी आते हैं.
- गया जी में महाराष्ट्र, दक्षिण राज्य, मध्यप्रदेश से अधिक श्रद्धालु आते हैं. ये दो उद्देश्यों से गया पहुंचते हैं. पहला, गया जी मे पिंडदान हो जाएगा. दूसरा, गंगा सागर में स्नान का उद्देश्य रहता है.
पौष अमावस्या को ऐसे करें पिंडदान
पितृपक्ष को जो लोग अपने पितरों को पिंडदान करने से चूक जाते हैं. वो पौष माह को, खासकर इस माह की अमावस्या तिथि को पिंडदान कर सकते हैं. पूरी विधि विधान से पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.
- पौष अमावस्या के दिन फल्गु नदी में स्नान करें.
- सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें.
- तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें.
- पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए.