गयाः जिले का विष्णुपद मंदिर पितरों के मोक्ष प्राप्ति के स्थान से प्रसिद्ध है. इसके इतर शादी विवाह के मूहर्त में विष्णुपद में हजारों की संख्या में शादियां भी होती हैं. अनलॉक-1 में भी विष्णुपद विवाह मंडप में पूरे लग्न शादियां होती रहीं. यहां की मान्यता है कि नव जोड़े भगवान विष्णु को साक्षी मानकर अपने जीवनसाथी को अपनाते हैं.
लगन में गूंजने लगते हैं मांगलिक गीत
बिहार के गया शहर में स्थित विष्णुपद मंदिर में देश विदेश से लोग अपने पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने आते हैं. पूरा विश्व इसे मोक्षधाम के नाम से जानता है. लेकिन हिन्दू धर्म में शादी के लग्न शुरू होते ही यहां मांगलिक गीत गूंजने लगते हैं.
शादी का होता है बड़ा ही मनोरम दृश्य
यहां शादी मूहूर्त के समय बड़ा मनोरम दृश्य देखने को मिलता है. एक तरफ पंडा पिंडदान का मंत्र पढ़ते हैं तो वहीं दूसरी तरफ पंडित शादी की रस्मो का मंत्र पढ़ाते हैं. ये दृश्य देखकर हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि सुख-दुख सब भगवान की माया है.
शादी के लिए आए दूल्हा दुलहन भगवान विष्णु को साक्षी मानकर होता है विवाह
विष्णुपद परिसर में शादी संपन्न करवा रहे पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि शादी को लेकर विष्णुपद की बड़ी ख्याति है. यहां सिर्फ गरीब ही नहीं अमीर भी शादी कराने आते हैं. यहां भगवान विष्णु के चरण की परिक्रमा कर लोग भगवान विष्णु को साक्षी मानकर विवाह करते हैं.
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25 अप्रैल को होने वाली शादी टली थी
वहीं, अपने बेटे की शादी करवाने आये शेरघाटी के विजय ने बताया कि हमलोग तो भगवान विष्णु के भक्त हैं. मेरे यहां की सारी शादियां यहीं होती है. लॉकडाउन की वजह से 25 अप्रैल को होने वाली शादी कैंसिल कर दी गई थी. हमलोगों ने ठान लिया था कि विष्णुपद मन्दिर खुलने पर ही शादी करेंगे.
भयमुक्त होकर शादी में मशगूलथे लोग
बहरहाल लोग शादी की रस्मों में इतने मशगूल थे कि कहीं भी सोशल डिसटेंसिंग का पालन नहीं किया गया था. किसी को कोरोना वायरस का भय भी नहीं था. पूरा विवाह मंडप भयमुक्त होकर शादी में रमा था. ऐसा लग रहा था जैसे जिले से कोरोना संक्रमण खत्म हो गया हो. फिलहाल अब शादियां नहीं होंगी, क्योंकि सनातन पंचाग के अनुसार शादियों का मूहूर्त खत्म हो गया है.