गया:भारत के उपराष्ट्रपति (Vice President) वेंकैया नायडू का आज जन्मदिन है. बिहार के गया (Gaya) जिले से उपराष्ट्रपति और भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष रहे वेकैंया नायडू का (Venkaiah Naidu ) खास नाता है. बात फरवरी 2005 की है. गया के नक्सल प्रभावित बाराचट्टी के पड़रिया में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी. नक्सलियों के जबड़े से वेंकैया और उनके पीए को निकाल कर सुरक्षित बाराचट्टी थाने तक पहुंचाने वाले स्थानीय शख्स राजेन्द्र साव की माली हालत आज बहुत ही खराब है. जबकि, उस वक्त वेंकैया नायडू ने नौकरी का आश्वासन दिया था.
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राजेन्द्र साव ने बचाई थी जान
2005 फरवरी में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष पर वेंकैया नायडू चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के तंडवा जा रहे थे. इसी दौरान गया के बाराचट्टी प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ईंधन खत्म होने के कारण हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग पड़रिया के गांव के खाली खाली मैदान में कराया गया था. जहां समय रहते ग्रामीण राजेन्द्र साव ने वेंकैया नायडू और उनके पीए को बाइक पर बैठाकर थाना ले गए और जिसके बाद नक्सलियों ने हेलीकॉप्टर को आग के हवाले कर दिया था.
वेंकैया ने कहा था- 'मामा बुलाना'
राजेन्द्र साव ने बताया कि जब वह अपनी बाइक से वेंकैया को ले जा रहे थे तो उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं. कोई तुमसे कोई मेरे बारे में पूछे तो कहना कि मेरे मामा हैं. इसी बीच नक्सलियों ने हेलीकॉप्टर को आग के हवाले कर दिया और मेरे घर के भाई को अपहरण करके ले गए. मेरा भाई किसी तरह छूटकर आया. उसके साथ नक्सलियों ने मदद करने के लिए काफी मारपीट की.
'हमलोगों को उनके पीए पुरुलिया जी ने पांच साल संरक्षण दिया. उसके बाद गांव आये भरण पोषण के लिए एक छोटा दुकान खोल दिये हैं. अभी तक नक्सलियों के डर से इलाके में छिपा रहता हूं.':- राजेंद्र साव, वेंकैया नायडू की मदद करने वाला शख्स
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दुकान से किसी तरह चल रहा परिवार
वहीं राजेन्द्र साव की पत्नी मंजू देवी ने बताया कि मेरे पति ने साहिसक काम किया था लेकिन नक्सलियों के कानून आगे ये सब बेकार है. 5 साल तक घर में ताला लटका रहा. पांच साल बाद आये तो स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ. भरण पोषण के लिए दुकान खोले हैं, उसी से गुजारा चलता है. मंजू कहती है कि उस वक्त के जितना व्यक्ति थे, उससे पूछ लीजिए अगर मेरे पति ने मदद नहीं की होती तो आज वेंकैया नायडू हमलोग के बीच नहीं रहते.
राजेन्द्र की पड़रिया में छोटी सी दुकान है. इसी से परिवार चलता है. 'उनकी जान बचाने का हमलोग दंश झेल रहे हैं. एक बेटा है, उसकी नौकरी भी लगा देते तो इस डर की जिंदगी से दूर चल जाते.':- मंजू देवी, राजेंद्र साव की पत्नी
नहीं मिली आर्थिक मदद
बता दें कि राजेंद्र साव की माली हालत बहुत खराब है. वेंकैया नायडू ने उनकी आर्थिक मदद करने का आश्वासन दिया था लेकिन वह आश्वासन अब तक दिलासा बनकर ही रह गया है. राजेंद्र के मुताबिक वैकेया नायडू के मदद से उन्हें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के यहां सुरक्षित रहने की व्यवस्था की गई थी. साथ ही अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरी तारीफ करते हुए उन्हें नौकरी देने का आश्वासन दिया था.
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'घटना के बाद चंपारण और पटना में वेंकैया नायडू से मुलाकात की तो दोबारा नौकरी का आश्वासन मिला. इसके बाद दिल्ली में जाकर मिले, तब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के पास भेज दिया गया. वहां 15 दिनों तक मुख्यमंत्री और मंत्री समेत तमाम अफसरों से मिलते रहे, फिर भी उनको नौकरी नहीं मिली, अब मेरी उम्र खत्म हो गई है. अब मेरे बच्चे का नौकरी मिल जाती तो अच्छा होता.':- राजेंद्र साव, वेंकैया नायडू की मदद करने वाला शख्स