गयाः ज्ञान की धरती बोधगया में 6 साल पहले दिल्ली का रहने वाला एक युवक पर्यटक बनकर घूमने आया था. लेकिन बोधगया के रमणीय छांव ने उसे यहीं का बना दिया. अरुण लॉकडाउन के दौरान बुद्ध की राहों पर चलकर हर दिन तीन हजार लोगों को भोजन करवा रहे हैं.
भगवान बुद्ध पर आस्था
दिल्ली से 6 साल पहले अरुण घुमने के लिए बोधगया आए थे, जो यहीं रहकर टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी में काम करने लगे. भगवान बुद्ध के प्रति आस्था को लेकर वो बोधगया छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं. अरुण सिर्फ भगवान बुद्ध पर आस्था ही नहीं रखते, बल्कि उनके उपदेशों का पालन भी करते हैं.
मसीहा बन गए अरुण
पिछले दो महीने से हर दिन अरुण तीन हजार लोगों को तीन वक्त का भोजन करवा रहे हैं. बोधगया के भिखारी और सड़क किनारे गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए अरुण मसीहा बन गए हैं. उतर प्रदेश के चित्रकूट की रहने वाली घुमक्कड़ जाति की महिला सुमंती ने बताया कि अरुण भईया हम लोगों को सारा सामान देते हैं. हमारे वही एक सिर्फ सहारा हैं. उन्होंने बताया कि अरुण खाना के साथ अन्य चीजों के लिए पैसे भी देते हैं.