गया पितृपक्ष मेला की हो रही जोर-शोर से शुरुआत गया : बिहार के गया में आगामी 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू होगा. इसमें लाखों पिंडदानी अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए गया जी को आएंगे. गया में विभिन्न पिंड वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड कर पितरों को मोक्ष दिलाते हैं. ऐसी ही वेदियों में एक धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण वेदी सीता कुंड है. यह वेदी विष्णु पद, फल्गु के ठीक सामने स्थित है.
ये भी पढ़ें- Pitru Paksha 2023 : अब घर बैठे गयाजी में करें पिंडदान.. जानें कैसे होता है ऑनलाइन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान
सीता कुंड वेदी की धार्मिक मान्यता : नदी के एक छोर पर विष्णुपद बीच में फल्गु तो दूसरे छोर पर सीता कुंड वेदी है. सीताकुंड वेदी की अपनी बड़ी धार्मिक महता है. इस मुख्य वेदी पर इस बार पहुंचने वाले पिंडदानियों तीर्थ यात्रियों के लिए काफी कुछ खास होगा. देश- विदेश से आने वाले तीर्थयात्री इस बार मिथिला पेंटिंग के माध्यम से बनाई गए धार्मिक वृतांत चित्रों को देख सकेंगे. तीर्थ यात्रियों को यह काफी आकर्षित करेगा.
दीवार पर मधुबनी पेंटिंग से देवी देवताओं का चित्र सीता कुंड में बनाई जा रही मिथिला पेंटिंग : गया की मुख्य पिंड वेदियों में से एक सीता कुंड है. यहां इन दिनों मिथिला पेंटिंग बनाई जा रही है. मिथिला पेंटिंग में राम- सीता, रामायण, विष्णुपद व पिंडदान से संबंधित चित्र उकेरी जा रही है. यह पहली बार इस पिंडवेदी पर किया जा रहा है. करीब 30 से 35 कारीगर इसके लिए लगाए गए हैं, जो कि दिन-रात एक कर कार्य को मूर्त रूप दे रहे हैं.
विशेष प्रशिक्षण देकर लाए गए मिथिला से कलाकार: मिथिला पेंटिंग बनाने वाले 30 से 35 कलाकार गया लाए गए हैं. इन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर यहां लाया गया है. ये कारीगर सुबह से लेकर रात के 9 बजे तक मिथिला पेंटिंग में जुटे हुए हैं. सीता कुंड के करीब 5 हजार स्क्वायर फीट के दायरे में मिथिला पेंटिंग की जा रही है. मिथिला पेंटिंग होने से सीता कुंड की दीवारें देवी देवताओं के चित्रों से पट गई है.
दीवार पर मधुबनी पेंटिंग के रामायण कथा चित्रों से प्रभावित होंगे तीर्थयात्री: गौरतलब हो कि गयाजी में हर साल लाखों तीर्थयात्री पिंडदान के लिए आते हैं. इस वर्ष भी पितृपक्ष मेले में करीब 10 लाख पिंडदानियों के आने की संभावना है. वहीं, इस बार सीता कुंड पिंड वेदी पर मिथिला पेंटिंग के जरिए विभिन्न देवी देवताओं की चित्र उकेरी जा रही है, जो कि काफी आकर्षक है. वहीं धार्मिक रूप से प्रेरणा स्रोत भी है. उकेरी जा रही चित्रों में माता सीता के समस्त वृतांत जन्म से लेकर धरती में समाने तक की कहानी उकेरी जा रही है.
मिथिला पेंटिंग से सजायी जा रही दीवारें : वहीं रामायण से जुड़ी गाथाएं भी मिथिला पेंटिंग के माध्यम से दर्शाई जा रही है. इसके अलावा विभिन्न देवी देवताओं की तस्वीर बनाई गई है. वहीं, विष्णुपद की महता और मोक्ष धाम गया जी से संबंधित चित्र भी उकेरी जा रही है. इस तरह लगातार मिथिला पेंटिंग के कलाकारों द्वारा कार्य किया जा रहा है और अब सीता कुंड पिंडवेदी की दीवारों पर देवी देवताओं की तस्वीरें मिथिला पेंटिंग में देखी जा सकती है.
दीवार पर मधुबनी पेंटिंग के रामायण कथा विभिन्न संस्कृतियों का समावेश : वहीं, विभिन्न संस्कृतियों को भी इसमें दिखाया जा रहा है. मिथिला पेंटिंग कर विभिन्न संस्कृतियों का समावेश भी यहां दिखाया जा रहा है. एक-एक पेंटिंग को इतनी खूबसूरती से मिथिला पेंटिंग में उकेरा गया है. देखने वाले तीर्थयात्री उसे बस देखते रह जा रहे हैं और काफी प्रभावित भी हो रहे हैं. इस तरह धार्मिक चित्रों से एक सुखद संदेश लेकर इस बार पितृपक्ष मेले में आने वाले यात्री गयाजी से वापस लौटेंगे.
तीन दर्जन कलाकार पेंटिंग में जुटे : इस संबंध में मिथिला सृजन से जुड़े राजेश चौधरी बताते हैं, कि तीन दर्जन कलाकारों को इस कार्य में लगाया गया है. यह सीता कुंड है, जो की एक महत्वपूर्ण पिंडवेदी है. यहां माता सीता, भगवान राम लक्ष्मण जी आए थे. माता सीता के द्वारा राजा दशरथ को पिंडदान किया गया था.
मिथिला पेंटिंग करते कलाकार चित्रों के माध्यम से पूरी रामायण का वर्णन: ऐसे में इस वेदी का काफी महत्व है और सीता कुंड पिंड वेदी पर काफी संख्या में माता सीता से जुड़ी उनके जन्म की कहानी से लेकर धरती में समाने की कहानी को मिथिला पेंटिंग के चित्रों से उकेरा गया है. वहीं, मिथिला सृजन की पुतुल कुमारी ने बताया कि हमें पितृपक्ष मेला शुरू होने से पहले काम को पूरा करना है. मिथिला पेंटिंग के लिए तीन दर्जन कलाकार आए हैं, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर लाया गया है.