गया में बन रही माता दुर्गा की अनोखी प्रतिमा, मिट्टी की जगह लकड़ी का इस्तेमाल गया:बिहार के गया जिले में इस बार मां दुर्गा की एक से बढ़कर एक प्रतिमा बनाई जा रही है. इसी क्रम में जिले में मां दुर्गा की एक ऐसी प्रतिमा भी बनी है, जो कि बिना मिट्टी के उपयोग के बनाई गई है. गया के नामचीन कलाकार विक्की बिंदु ने छोटे-छोटे लकड़ी के टुकड़े की मदद से प्रतिमा बनाई है. कहा जा रहा है कि मगध क्षेत्र में संभवत: लकड़ी, बुरादे, चैली से पहली बार इस तरह की अनोखी माता की प्रतिमा बनाई गई है जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
ये भी पढ़ें:बिहार में 40 साल से मां दुर्गा की मूर्ति बनाते हैं कोलकाता के मूर्तिकार, 2 महीने पहले शुरू करते हैं काम
वुडेन मटेरियल का इस्तेमाल:जिले के बागेश्वरी में विक्की बिंदु के द्वारा बनाई गई मां दुर्गा की प्रतिमा में सिर्फ वुडेन मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है. इसे छोटे-छोटे लकड़ी, चैली, बुरादा आदि की मदद से बनाया गया है. इसमें मिट्टी का कोई प्रयोग नहीं किया गया है. सिर्फ लकड़ी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाई जाने के कारण यह काफी अनोखी है और इसे देखने वालों की काफी भीड़ लग रही है. बताया गया कि मानपुर में इस प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा.
मां दुर्गा की अनोखी प्रतिमा को बनाते कारीगर नौकरी छोड़कर बना रहे मूर्ति: प्रतिमा बनाने के लिए बिंदु कलाकार काफी नामचीन थे. उनका निधन होने के बाद उनके पुत्र विक्की बिंदु अपने पिता के परंपरागत मूर्ति बनाने के काम को संभाले हुए हैं. विक्की बिंदु भी एक से बढ़कर एक प्रतिमा बनाने में माहिर हैं. खास बात यह है कि वह नौकरी छोड़कर अपने पिता की विरासत वाले काम को संभाल रहे हैं. लकड़ी की अनोखी प्रतिमा बनाने को लेकर उन्होंने बताया कि उनकी कल्पना में इस तरह की प्रतिमा बनाने का ख्याल आया तो बना दिया.
"इस बार दशहरे पर्व को लेकर उनके द्वारा सैंकड़ो माता दुर्गा की प्रतिमाएं बनाई गई है. इन प्रतिमाओं में एक प्रतिमा ऐसी भी है, जो सिर्फ वुडेन मटेरियल से बनाई गई है. इसमें बुरादा, चैली, लकड़ी का ही उपयोग किया गया है. इसमें मिट्टी का उपयोग नहीं किया गया है. प्रतिमा के परिधान से लेकर हर साज- सज्जा में लकड़ी के चीजों का ही उपयोग किया गया है."- विक्की बिंदु, मूर्तिकार
प्रतिमा को बनाने में लकड़ी, बुरादे, चैली का किया गया इस्तेमाल टेक्निकल ऑफिसर के पद पर थे कार्यरत: वहीं इस संबंध में विक्की बिंदु बताते हैं कि पहले वह बीएसआईडीसी में इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में थे और उसमें टेक्निकल ऑफिसर की नौकरी कर रहे थे. अच्छी पगार थी, लेकिन पिता के निधन के बाद उन्होंने अपने पिता के काम की विरासत को ही संभालने का निर्णय लिया. पिता बिंदु कलाकार के आशीर्वाद से वह बेहतर कर रहे हैं और उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमाओं की काफी प्रशंसा होती है.