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गया में लॉकडाउन के दौरान 300 करोड़ से अधिक का कपड़े का व्यापार प्रभावित, व्यापारी बोले- संकट में लोगों की नौकरी

कोरोना संक्रमण के चलते सरकार ने बिहार में लॉकडाउन लगाया था, जिस कारण कपड़े की सभी दुकानें बंद होने से कपड़ा मंडी में उदासी छाई रही. लॉकडाउन के कारण धार्मिक नगरी गया में 300 करोड़ से अधिक का कपड़े का व्यापार प्रभावित हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

कपड़ा मंडी में उदासी
कपड़ा मंडी में उदासी

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Published : Jun 23, 2021, 12:09 PM IST

गया: धार्मिक नगरी गया (Gaya News ) शहर की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कपड़ा व्यवसाय ( Textile Business ) का अहम योगदान है. शहर में स्थित 50 थोक और 600 के करीब छोटे कपड़े दुकान को लॉकडाउन ( Lockdown ) के दरम्यान 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं इस नुकसान की भरपाई नहीं होने से छोटे से लेकर बड़े कपड़ा व्यापारी ( Textile Traders ) चिंतित हैं.

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कपड़ा व्यवसाय पर कोरोना का असर
दरअसल, कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए बिहार सरकार ने लॉकडाउन लागू किया था. जिससे कपड़ा व्यवसाय को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. लॉकडाउन शादी के लग्न और ईद के वक्त में लगा, जिससे कपड़ा व्यवसाय को बहुत नुकसान हुआ. सिर्फ गया शहर में एक माह में 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कपड़ा व्यवसाय से जुड़े विनय जैन ने बताया कि इस साल में लागू लॉकडाउन की वजह से 300 करोड़ रुपये का लगभग नुकसान हुआ है.

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गया शहर में 10 कपड़े की थोक दुकान ऐसी है, जहां प्रतिदिन प्रति दुकान प्रतिमाह 10 से 20 करोड़ का कारोबार होता है. वहीं करीब 40 कपड़े के थोक दुकानों में एक से दो करोड़ तक का कारोबार होता है. वहीं 600 कपड़े के दुकानों में प्रतिमाह प्रति दुकान दो से 50 लाख रुपये तक का कारोबार होता है. औसतन प्रति दुकान प्रतिमाह 20 लाख रुपये का कारोबार होने से 120 करोड़ रुपये का कारोबार एक माह में हो जाएगा. यहां तक कि कपड़ा दुकानों पर काम करनेवाले दस हजार कर्मियों को हटाने की भी कवायद जारी है.

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लॉकडाउन ने व्यवसाय पर लगयाा लॉक
'लॉकडाउन में इन दुकानों के बंद रहने से केवल एक महीने में अनुमानित 300 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है. इस बार पिछले साल से ज्यादा नुकसान इसलिए हुआ कि होली की बाद ईद आ गयी. लोगों ने स्टॉक में माल रखा लेकिन बिक्री नहीं हो सकी.': विनय जैन, कपड़ा व्यवसायी

कपड़ा मंडी में उदासी

'शादी के लग्न और ईद की वजह से कपड़ों को मंगवाया गया था लेकिन लॉकडाउन लागू होने से पूरी पूंजी डूब गयी. अब थोड़ी राहत तो मिली है लेकिन अलर्ट डे होने से ग्राहकों को परेशानी हो रही है. एक माह दुकान बंद होने से दुकान का किराया, बिजली बिल का भुगतान, कर्मियों का वेतन दे पाना काफी मुश्किल हो गया है. हम लोग बैंक से लोन लेकर व्यापार करते हैं. व्यापार बंद होने से बैंकों के समय पर ब्याज ना देने से भी परेशानी झेलनी पड़ रही है.': मधु जैन, कपड़ा व्यवसायी

लॉकडाउन के दौरान व्यापार चौपट
कोरोना महामारी से देश समेत राज्यों के अर्थ व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है. छोेटे-छोटे उद्योग-धंधे को भारी नुकसान हुआ, खासकर रोज कमाने और खाने वाले लोगों की हालात और खराब है. धीरे-धीरे लॉकडाउन हटाया जा रहा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि फिर से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा.

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