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गया: वज्रपात से 30 मिनट पहले चेतावनी देगी ये मशीन, थमेगा मौत का सिलसिला

यंत्र के माध्यम से ठनका गिरने से 30 मिनट पहले दामिनी एप्प से जानकारी लोगों तक पहुंच जाएगी. दिल्ली के निजी कंपनी के ओर से 25 लाख रुपयें की लागत से लगाया जा रहा है. यह यंत्र पुणे में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मिटिरोलॉजी द्वारा संचालित किया जाएगा.

बज्रपात

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Published : Aug 30, 2019, 3:39 PM IST

गया:राज्य में इस साल बरसात के समय वज्रपात होने से डेढ़ सौ से अधिक लोगों की मौत हो गयी. वहीं, गया में लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई. लेकिन अब ये मौत का आंकड़ा बहुत कम हो जाएगा. केंद्र सरकार के पहल पर बिहार में पहला लाइटिंग सेंसर यंत्र गया में लगाया जा रहा है. जो वज्रपात से 30 मिनट पहले सूचना देगा. इस यंत्र को लगाने में 25 लाख रुपये का खर्च आ रहा है.

ठनका गिरने से 30 मिनट पहले मिलेगी जानकारी
गया में स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लाइटिंग लोकेशन नेटवर्क यंत्र लगाया जा रहा है. इस यंत्र के माध्यम से ठनका गिरने से 30 मिनट पहले दामिनी एप से जानकारी लोगों तक पहुंच जाएगी. दिल्ली की निजी कंपनी की ओर से 25 लाख रुपये की लागत से लगाया जा रहा है. यह यंत्र पुणे में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मिटिरोलॉजी द्वारा संचालित किया जाएगा. इसकी मॉनिटरिंग दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर प्रधान पार्थ सारथी करेंगे. बता दें कि प्रो. प्रधान पार्थ सारथी मौसम वैज्ञानिक भी हैं.

लाइटिंग सेंसर यंत्र से ठनका की चेतावनी मिलेगी

जानकारी से बचेगी जान
प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने बताया लाइटिंग सेंसर यंत्र वज्रपात होने से 30 मिनट पहले सूचना दे देगा. यंत्र में लोकेशन से ठनका गिरने वाले जगह का पता चल जाएगा. जिससे लोगों को सूचना मिल जाएगी और लोग घर से बाहर नहीं निकलेगे. इस तरह से उनकी जान बच जाएगी. इस उपकरण के माध्यम से रिकॉर्ड किए गए डाटा बिना रुकावट पुणे आई.आई.टी.एम में चला जाएगा. इस यंत्र में बिजली बैकअप देने के लिए यूपीएस भी लगाया गया है. जिले में 15 सितंबर से यंत्र काम करना शुरू कर देगा.

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय


गया में होती है ज्यादा लाइटिंग
केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा सर्वे किया. सर्वे में पाया गया कि बिहार में सबसे ज्यादा गया जिले में लाइटिंग होता है, इसलिए गया का चयन किया गया है. वहीं, यंत्र के मेंटेनेंस को देखते हुए दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में लगाया जा रहा है. यह सेंसर सौ किलोमीटर तक कवर करेगा और 30 मिनट पहले जानकारी देगा.

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